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मुस्कुराते हुए बोलिए।अपनी भाषा को सम्मानपूर्ण बनाइये । सम्मानपूर्ण भाषा पाने के लिए सम्मानपूर्ण बोलने की आदत डालिए। 'तुम' को हटाइये और 'आप' को स्थान दीजिए। हंसकर अगर कोई भारी बात भी कह दी जाए तो भी वह दिल को चुभती नहीं है । मीठे बोलने से न तो जीभ का छेदन होता है और न ही तालू का भेदन और न ही कोई पैसा-टका खर्च होता है। फिर 'वचने का दरिद्रता' । बोलने में कैसी गरीबी! अगर हम मौके पर मीठा न बोल सके तो फिर गूंगापन अच्छा है।
मिठास से बोलना तो जीवन की बहुत बड़ी विशेषता है। अगर मिठास से बोलना नहीं आता तो जंगल में चले जाओ और गुफावास धारण कर लो, पर अगर इंसानों के बीच रहते हो तो वाणी पर लगाम लगाना जरूरी है। उसे मीठा बनाना निहायत आवश्यक है। दुकान पर ग्राहक आए तो आप उससे मीठा बोलिए। आपकी बोली उसे दुबारा आने को प्रेरित करेगी। दफ्तर में जाओ तो अपने ऑफिसर को अपनी मिठास का अहसास दो। कल ही सुशील जी भंसाली मुझे बता रहे थे। कह रहे थे कि मैं लगातार तीस साल से एक ही ऑफिस में सर्विस करता आ रहा हूं । सामान्य क्लर्क के रूप में नौकरी शुरू की थी और बढ़ते-बढते बिजली विभाग का अधीक्षक अभियन्ता बन गया. पर मेरी आज तक न तो कभी कोई शिकायत हई और न ही कभी बदली हई। क्या आप इसका कारण जानते हैं ? यह व्यक्ति कभी भी अपने बड़े ऑफिसर के खिलाफ नहीं बोला और बड़े ऑफिसर ने जो कहा उसे विनम्रता से पूरा कर डाला। बस, यही उनकी सफलता का राज़ है । आप भी इन्हीं की तरह मिठास और प्रेम से बोलिए और अपना सिक्का कायम कीजिए। ___ पति-पत्नी की नोक-झोंक तो दुनिया में प्रसिद्ध है। पति बेचारा सोया हुआ था। अचानक रात को 12 बजे पत्नी ने पति को जगाया और कहा 'जरा दूध पी लीजिए। पति चौंका कि आज भागवान को क्या हो गया है जो नींद से उठाकर दूध पिला रही है ? इसने तो आज तक सुबह भी ढंगसे दूध नहीं पिलाया।
पत्नी ने कहा, 'दरअसल क्या हुआ कि
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