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करती है जिसका उपयोग किया जाए तो वह व्यक्ति के दिल को भी शीतल किया करती है और औरों के दिलों को भी। इसीलिए तो कहते हैं -
वाणी ऐसी बोलिए मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होय॥ भले ही कोई व्यक्ति खुद को सजाने के लिए गले में सोने की चेन पहने या हाथ में ब्रासलेट। चाहे कोई महिला हाथों में हीरों का कंगन पहने या नाक में सोने की नथनी, पर याद रखिए कि इंसान की शोभा इन बाहर के रूप- रूपायों से नहीं है, वरन् उसके द्वारा बोली जाने वाली मधुर और संस्कारित वाणी ही उसकी असली पहचान करवाती है । निश्चय ही जीवन में स्मार्टनेस का मूल्य है, पर याद रखिए स्मार्टनेस का मूल्य केवल 20 प्रतिशत है। 80 प्रतिशत मूल्य तो हमारे द्वारा बोली जाने वाली वाणी और व्यवहार से जडा हआ है। मीठी बोली ही व्यवहार को भी मीठा बनाती है और व्यक्ति का मीठा व्यवहार ही औरों के द्वारा मिठास भरा व्यवहार पाने का आधार निर्मित करता है। जो आदमी कभी कड़वा नहीं बोलता, सबके प्रति मीठी भाषा का उपयोग करता है, वह अनायास ही सबके दिलों पर राज किया करता है। मीठी वाणी तो उस गुलाबी गुलदस्ते की तरह है जिसे हर कोई व्यक्ति अपने हाथों में लेना चाहता है। काश, लेने वाला व्यक्ति दूसरों को देना भी सीख जाए तो घर-परिवार व समाज की आधी समस्याएँ तो ऐसे ही हल हो जाएँ। ___ हो सकता है कि किसी के पास सोना ज्यादा हो और किसी के पास जवाहरात ज़्यादा पर जिस व्यक्ति के पास उसकी शालीन भाषा है उसके पास तो सोना भी है और जवाहरात भी। उसकी तो जीभ ही हर समय सोना और जवाहरात पैदा करती रहती है। आप चाहें तो प्रयोग करके देख सकते हैं। यदि कोई सज्जन आपसे नाराज है या ग्राहकों के साथ आपका संतुलन नहीं है तो आप केवल इतना सा कष्ट उठाइये कि अपनी भाषा को मधुर और मुस्कान भरी बना लें। आखिर आपके
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