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जीने की कला -5
7 स्टेप्स में सीखिए बोलने की कला
कमान का तीर वश में
पर वाणी का तीर कैसे वश में|
कुदरत ने हर किसी इंसान को एक बहुत बड़ी क्षमता दी है और वह है बोलने की क्षमता। वाणी वह आधार है जो कि हमें धरती के सब प्राणियों में सिरमौर बनाती है। वाणी से ही व्यापार होता है, वाणी से ही रिश्ते बनते हैं और वाणी से ही समाज का निर्माण होता है । पशु और इंसान के बीच अगर कोई फ़र्क करने वाला तत्त्व है तो उनमें पहला है इंसान की वाणी। ___ आदमी शिक्षित होने के लिए पूरे पच्चीस साल लगाता है और समृद्ध होने के लिए पचास साल। परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने को वह अपने जीवन की असफलता मानता है और व्यापार में होने वाले नुकसान को वह अपने लिए नाकामयाबी स्वीकार करता है, किंतु व्यक्ति यदि सबसे कम गौर किसी पर करता है तो वह अपने स्वयं के द्वारा बोली जाने वाली वाणी है । वाणी का मतलब यह नहीं है कि जो मुंह से निकल गया वही वाणी है । वाणी तो वह हुआ
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