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पानी पताशा फस्स।
खुद को व्यस्त कीजिए। दिन में तो व्यस्त रखिए ही, अगर रात में नींद न चढ़े तो आलतू-फालतू करवटें बदल कर बिस्तर को गूंदते रहने की बजाए अपने आप को किसी काम में लगा लीजिए। फिर अपने आप नींद आने लग जाएगी। दिमाग को रिलेक्स दिया जाना चाहिए, पर रिलेक्सेशन की इतनी भी आदत न पड़ जाए कि वह कोई काम का ही न रहे । दिमाग़ को स्वस्थ और तनावमुक्त रखिए। वह आलतू-फालतू की खाइयों में न गिर जाए इसलिए उसे व्यस्त भी रखिए।
कहते हैं महान वैज्ञानिक एडिसन को काम करने का नशा था। वह एक बार अपनी धुन में एक जब प्रयोगशाला में घुस जाते तो बाहर नहीं निकलते थे। उनकी इस फ़ितरत से उनकी पत्नी हमेशा उन पर चिढ़ी रहती थी।
एक बार एडिसन की पत्नी ने उनसे कहा, आप लगातार काम करते रहते हैं। कभी तो छुट्टी ले लिया करें।
एडिसन ने पूछा, आखिर छुट्टी लेकर जाऊँगा कहाँ ? पत्नी ने कहा, कहीं भी जहाँ आपका मन चाहे।
अच्छा, तो मैं वहीं जाता हूँ, कहकर एडिसन फिर से प्रयोगशाला में घुस गए।
तो यह हुई काम करने की धुन । भला जो लोग अपने आपको इस कदर व्यस्त और मसरूफ़ रखते हैं वे लोग न केवल अपने दिमाग़ को गलत राहों पर चले जाने से बचा लेते हैं अपितु ऐसे लोग ही सफलता के नये द्वार खोल पाने में भी समर्थ होते हैं। इन्हीं एडिसन से बल्ब का आविष्कार किए जाने पर जब पत्रकारों के द्वारा यह पूछा गया कि आपको इस आविष्कार में कितना वक्त लगा? तो उन्होंने सहज जवाब दिया, क्षमा करें मेरे काम करने के कमरे में कोई घड़ी नहीं थी।
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