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अपनी विनम्रता से, अपने बड़प्पन से, उसका दिल जीतो। यही वास्तव में सच्ची विजय है, आत्म विजय है।
आजकल लोगों ने बोलना तो बहुत शुरू कर दिया है, दिनभर मोबाइल चलता रहता है। पर घर वालों के साथ बोलना कम कर दिया है। लोगों से तो प्यार से बोलना शुरू कर दिया, पर घर वालों से गुस्से में बोलना शुरू कर दिया है। सड़क चलती महिला से बात करनी हो तो क्या मुस्कुराकर बोलेंगे, पर घर वाली से बात करनी हो तो मुँह सूजाकर बोलेंगे! घर वाली के सामने आदमी ऐसे बोलता है जैसे शेर दहाड रहा हो. हाथी चिंघाड़ रहा हो। हाँ, अगर पति बेचारा सीधा है तो पत्नी उसके साथ ऐसा सलूक करती है कि देखने वालों का तरस आ जाए।अरे भाई, मिठास से बोलो न! गुस्सा करने से तो सेहत और सम्बन्ध, शांति और समरसता दोनों ही खतरे में पड़ जाते हैं।
ख़ुद की जबान पर मिठास की चासनी लगाइए और घर में पति-पत्नी, सास-बहू, बाप-बेटे के बीच में प्रेम और शांति को तवज्जो दीजिए। जिस घर में सास-बहू आपस में बोलती नहीं, मुँह सुजाए रहती हैं, बाप-बेटा एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते नहीं हैं, वह घर-घर नहीं शमशान है, कब्रिस्तान है। आपको पता है कि नहीं, कब्रिस्तान में भी लोग रहते हैं, पर वे आपस में बोलते नहीं हैं, मिलते नहीं हैं, बस वे वहाँ मुर्दा बनकर रहते हैं। कहीं आपके भी तो यही हालात नहीं हैं कि एक ही बिल्डिंग में दोनों भाई रहते हैं पर वे आपस में बोलते नहीं, मिलते नहीं, एक-दूसरे को देखकर कन्नी काट लेते हैं, अगर ऐसा हो तो मुझे यह कहने के लिए माफ कीजिएगा कि आपका घर, घर नहीं नफ़रत का नरक है। घर का स्वर्ग ही एक है। प्रेम, प्रसन्नता और समर्पण। ___ अरे, अगर कभी कोई एक आग बन जाए तो आप पानी बन जाइए। अगर कोई एक अंगारा बन जाए तो आप जलधारा बन जाइए। दो में से एक शांत होना सीख ले, मैटर वहीं फिनिश हो जाए वरना गुस्से का गणित बड़ा विचित्र है। गणित में तो एक और एक दो होते हैं पर गुस्से के गणित में एक और एक ग्यारह होते हैं। गुस्से में मुँह खुला रहता है, पर आँखें बंद हो जाती हैं । गुस्से में पहले गाली निकलती है, फिर हाथ उठता है, फिर रिश्ते टूटते हैं, यहां तक कि कभी
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