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है। स्वयं के द्वारा गलती हो जाने पर किसी को भी गुस्सा नहीं आता। अगर आपको कोई टक्कर मारता है तो आपको गुस्सा आता है, लेकिन जब आप किसी को टक्कर मारते हैं तो गुस्सा आता है ? नहीं, कभी नहीं । हम हमेशा दूसरों की गलती देखते हैं पर अगर अपनी गलती पर ध्यान देना शुरू कर दें तो वहीं से सुधार की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पुरुष लोग शैविंग करते हैं - जब कभी शेविंग करते हुए ब्लैड लग गई तो क्या आपको गुस्सा आया ? क्या कभी ब्लैड तोड़कर फैंकी कि उसने आपका गाल काट दिया' नहीं, बल्कि झट से डेटॉल लगाया और चले गए अपने काम पर। कभी खाना खाते वक्त दांतों से गाल कट जाता है क्या आपको गुस्सा आता है ? नहीं! आपको मच्छर ने काटा, खुजली आई, क्या गुस्सा आया, नहीं। आप चल रहे थे, चलते-चलते ठोकर खाकर गिर पड़े आपको अपने पांवों पर गुस्सा आया, नहीं आया, कभी भी व्यक्ति को अपनी गलती पर गुस्सा नहीं आता ? गुस्सा सदा दूसरों की गलती पर आता है ।
दूसरी बात गुस्सा हमेशा कमजोर पर आता है। बेटा बाप पर जल्दी से गुस्सा नहीं करता पर बाप बेटे पर हमेशा गुस्सा करता है। बहू सास पर कम गुस्सा करती है, अंदर ही अंदर गुस्सा पी जाती है पर सास झट से अपनी बहू पर कुपित हो जाती है। इसलिए गुस्सा नीचे की ओर बहता है और प्रेम ऊपर की ओर । पिता अपना गुस्सा बेटे
पर, बेटा पत्नी पर, पत्नी बच्चों पर और बच्चे खिलौनों पर अपना गुस्सा निकालते हैं । हरेक अपने से नीचे वाले पर अपना गुस्सा निकालता है । अगर मजबूत पर गुस्सा निकालें तो... ?
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ऐसा हुआ एक व्यक्ति रास्ते में जा रहा था कि किसी मकान से एक ईंट आकर उसके सिर पर लगी । उसे गुस्सा आया, उसने गाली भी बकी और बड़बड़ाया-यह तो अच्छा हुआ मैं बच गया, वरना मेरा सिर भी फट सकता था। उसने पत्थर उठाया और कहा- देखता हूँ किसने ईंट फेंकी। उसकी हड्डीपसली एक करके आता हूँ । वह उस घर में गया, जहाँ से ईंट आई थी, गुस्सा भी बहुत आ रहा था। घर में घुसा तो वहाँ देखा एक पहलवान दंड-बैठक लगा रहा था - मुद्गर चला रहा था, पहलवान ने कहा- क्या है बे ! उसने घिघियाते हुए
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