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विकास के आयाम देने चाहिए, यही है कैरियर-निर्माण का ताना-बाना। मिट्टी तो प्रकृति देती है, लेकिन मिट्टी से मंगल कलश बनाना इन्सान की ज़िंदगी की सफलता की कहानी है। माना कि गंदगी गंदगी है लेकिन उसका प्रयोग करने की कला आ जाए तो वही गंदगी खाद बनकर फूलों में सुवास बनकर उभरती है।
आज जो बेरोजगारी फैल रही है उसके लिए आप भले ही शासनप्रशासन और सरकार को दोष दें, लेकिन मेरा मानना है कि इसके लिए सरकार या प्रशासन नहीं बल्कि व्यक्ति को कैरियर बनाने का सही तरीक़ा न आना ही मुख्य कारण है। सरकारी दफ्तरों के हाल तो निरन्तर गिरते जा रहे हैं। जबकि दुनिया में विकास के रास्ते रोज़-ब-रोज़ खुलते जा रहे हैं। जीने का, शिक्षा का स्तर सुधर गया है। बड़ा परिवर्तन आया है। आप बढ़ते लोगों को देखिए और प्रेरणा लीजिए। ___ अगर आप कहीं परीक्षा देने जाते हैं और उसमें असफल हो जाते हैं तो इसके लिए हताश, निराश और उदास होने की ज़रूरत नहीं है। मोरारजी देसाई जब परीक्षा देने गए तो परीक्षकों ने पूछा – 'मोरारजी, अगर तुम परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गये तो क्या करोगे?' मोरारजी ने कहा - 'अगर मैं अनुत्तीर्ण हो गया तो इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं असफल हो गया। विकास के और निन्यानवे द्वार खुले रहेंगे।' अगर मोरारजी देसाई तभी निराश हो जाते तो वे देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाते। आज भी देश के ईमानदार प्रधानमंत्रियों में मोरारजी देसाई का नाम आदरपूर्वक लिया जाता है।
जीवन में हार जाना गुनाह नहीं है। परीक्षा में फेल हो जाना या जीवन में विफल हो जाना कोई दोष नहीं है। असफलता का मतलब है देरी, न कि हार। जब भी असफल हो जाएँ, तो . सोचें, एक बेहतर रास्ता अवश्य है। तलाशना चाहिए उसे आखिर विश्व के महान् से महान् व्यक्तियों ने भी असफलताओं के द्वार से निकलकर ही सफलता की मंज़िल हासिल की है।
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