________________
सोच का सकारात्मक होना जीवन की सबसे बड़ी सफलता है । सोच आदमी के जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है । सोच ही आदमी के जीवन की मूलभूत प्रेरणा है । सोच में ही शांति छिपी हुई है और सोच में ही प्रगति। सोच यदि सकारात्मक है तो वह अमृत है । सोच यदि नकारात्मक है तो वही ज़हर है। मनुष्य का मन ज़हर भी उगलता है और अमृत भी । पुरानी किताबों में सागर का मंथन कभी एक दफा हुआ होगा पर मनुष्य के मन में तो हर समय ही सागर मंथन चलता रहता है । यह कभी विष प्रकट करता है तो कभी अमृत । जो दूसरों की नकारात्मकताओं के ज़हर को हँसते-मुस्कुराते हुए पी जाते हैं वही घर-परिवार और समाज में नीलकंठ महादेव बना करते हैं। खुद को नकारात्मकताओं से बचाओ और दूसरों की नकारात्मकताओं को हँसते - मुस्कुराते हुए झेल जाओ। यही व्यक्ति की आत्म-विजय है ।
1
मैं सकारात्मक सोच का संदेशवाहक हूँ । सकारात्मक सोच मेरा धर्म है, मेरा पुण्य है, मेरी सद्गति है, मेरी प्रतिष्ठा है, मेरा द्वीप है, मेरा व्रत है, मेरा संकल्प है, मेरा नज़रिया है । सोच अगर सकारात्मक है तो मैं और आप - हम सब सफल हैं। सोच अगर नकारात्मक है तो चाहे मैं हूँ या आप हम सब विफल हैं। इसलिए जीवन का मंत्र बनाइए मैं सकारात्मक सोचूँगा, सकारात्मक बोलूँगा, सकारात्मक व्यवहार करूँगा, सकारात्मक जीऊँगा । जिस दिन हम अपनी सकारात्मकता को
छोड़ बैठे उस दिन समझ लेना कि हमने अपनी आत्महत्या कर डाली है। स्वयं की ताकत है सकारात्मक सोच । परिवार की शक्ति है सकारात्मक सोच। समाज के संगठन का आधार है सकारात्मक सोच । देश की प्रगति का राज है सकारात्मक सोच । विश्व को शांति, समृद्धि और भाईचारे का वातावरण देने वाला है सकारात्मक सोच ।
--
सकारात्मक सोच यह मंत्र भी है और तंत्र भी । यह शक्ति भी है और प्रगति भी । यह श्वास भी है और विश्वास भी । यह धर्म भी है और मोक्ष भी । यह राम भी है और रहमान भी । यह महावीर भी है और महादेव
Jain Education International
100
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org