________________
श्रीदशकालिकनियेक्तिः-सिद्धिगइसुवगयाण कम्मविसुद्धाण सम्वसिद्धाणं । नमिऊणं दसयालियनिजुति कित्तइस्सामि ॥१॥ आईमावसाणे काउं मंगलपरिग्गहं विहिणा। नामाइमंगलंपिअ चउब्विहं पन्नवेऊणं ॥२॥ सुअनाणे अणुओएणऽहिगयं सो चउब्विहो होइ। चरणकरणाणुओए धम्म गणिए य दविए य॥३॥ अपुहुत्तपुहुत्ताई निहिसिउं इत्य होइ अहिगारा। चरणकरणाणुओगेण तस्स दारा का इमे हुँति॥४॥ निक्खेवे१गट्ठरनिरुत्तिविही४ पवित्ती५ य केण वा६ ? कस्स७? तद्दार टभेय९लक्खण१० तदरिहपरिसा११ य सुत्तत्थो१२॥५॥ एयाइपरूवेट कप्पे वणियगुणेण गुरुणा उ।अणुओगो दस
वेयालियस्स विहिणा कहेयब्बो॥६॥ दसकालियंतिनाम संखाए कालओय निदेसो।दसकालियसुअखंचं अज्झयणुहेस निक्खिविउं ।। नाम ठवणा दविए माउयपयसंगहिकए चेवा पजव भावे य तहा सत्तेए इक्कगा होति ॥८॥ नाम ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे अाएसो खलु निक्खेवो दसगस्स य छविहो होइ॥९॥ चाला किडा मंदा बला य पंना य हायणि पर्वचा। पञ्भारमुम्मुही साइणी य दसमी य काल
दसा ॥१०॥ दव्वे अद् अहाउअ उवकमे देसकालकाले अ। तह् य पमाणे वंने भावे पगयं तु भावेण ॥११॥ सामाइयऽणुक्कमओ बनेउं विगयपोरिसीए ऊ। निजूढं किल सिजंभवेण दसकालियं तेणं A॥१२॥ जेण व जं व पडुच्चा जत्तो जावंति जह य ते ठविया । सो तं च तओ ताणि य तहा य कमसो कहेयध्वं ॥१३॥ सेजंभवं गणधरं जिणपडिमादसणेण पडिबुद्धं । मणगपियरं दसकालियस्स निजूहगं वंदे॥१४॥मणगं पडुच सेजंभवेण निहिया दसऽज्झयणा । वेयालियाइ ठविया तम्हा दसकालियं णामं ॥१५॥आयप्पवायपुव्वा निजूदा होइ धम्मपनत्ती। कम्मप्पवायपुब्वा पिंडस्स उ एसणा तिविहा ॥१६॥ सचप्पवायपुव्या निजूढा होइ वक्कसुद्धी उ। अवसेसा निजूढा नवमस्स उ तइयवत्थूओ ॥१७॥ वीओऽविअ आएसो गणिपिडगाओ दुवालसंगाओ।एअंकिर णिजूढं मणगस्स अणुगाहट्ठाए॥१८॥ दुमपुफियाइया खलु दस अज्झयणा सभिक्खुयं जाव।अहिगारेऽवि य एत्तो वोच्छं पत्तेयमेकेके॥१९॥ पढमे धम्मपसंसा सो य इहेब जिणसासणम्मित्ति । बिइए पिईएँ सका काउंजे एस धम्मोत्ति ॥२०॥ तइए आयारकहा सुझ्यिा आयसंजमोवाओ। तह जीवसंजमोऽविय होइ चउत्थंमि अज्झयणे ॥२१॥ भिक्खविसोही तक्संजमस्स गुणकारिया उ पंचमए।छट्टे आयारकहा महई जोग्गा महयणस्स ॥२२॥ वयणविभत्ती पुण सत्तमम्मि पणिहाणमट्ठमे भणियं । णवमे विणओ दसमे समाणियं एस भिक्खुत्ति ॥२३॥ दो अज्झयणा चूलिय विसीययंते थिरीकरणमेगं । बिइए विवित्तचरिया असीयणगुणाइरेगफला | ॥२४॥ दसकालिअस्स एसो पिंडत्थो वण्णिओ समासेणं । एत्तो एकेकं पुण अज्झयणं कित्तइस्सामि ॥२५॥ पढमज्झयणं दुमपुफियंति चत्तारि तस्स दाराई। वण्णेउवकमाई धम्मपसंसाइ अहिगारो॥२६॥ | ओहो जं सामन्नं सुआभिहाणं चउविहं तं च । अज्झयणं अज्झीणं आय ज्झवणा य पत्तेअं॥२७॥ नामाइचउम्भेयं वण्णेऊणं सुआणुसारेणं। दुमपुष्फि आओजा चउसुपि कमेण भावेसुं ॥२८॥ अज्झप्पस्साणयणं कम्माणं अवचओ उवचिआणं । अणुवचओ अ नवाणं तम्हा अज्झयणमिच्छति ॥२९॥ अहिगम्मति व अत्था इमेण अहिगं च नयणमिच्छति । अहिगं च साहु गच्छह तम्हा अज्झयणमि
च्छंति॥३०॥ जह दीवा दीवसयं पहप्पई सो अदिप्पई दीवो। दीवसमा आयरिया दिपंति परं च दीवति ॥३॥ नाणस्स देसणस्सऽवि चरणस्स य जेण आगमो होई। सो होइ भावआओ आओ लाहोत्ति A निदिट्टो ॥३२॥ अट्टविहं कम्मरयं पोराणं जं खवेइ जोगेहिं । एयं भावजावणं नेअव्वं आणुपुव्वीए ॥३३॥णामदुमो ठवणदुमो दब्वदुमो चेव होइ भावदुमो। एमेव य पुष्फस्सवि चउब्बिहो होइ निक्खेवो
॥३४॥ दुमा य पायवा रुक्खा, अगमा विडिमा तरू। कुहा महील्हा वच्छा, रोवगा रंजगावि अ॥३५॥ पुष्पाणि अ कुसुमाणि अ फुडाणि तहेव होति पसवाणि । सुमणाणि असुहुमाणि अ पुष्फाणं हॉति एगट्टा ॥३६॥ दुमपुष्फिआ य आहारएसणा गोअरे तया उंछे। मेस जलूगा सप्पे वणऽक्खइसुगोलपुत्तुदए॥३७॥ कत्थइ पुच्छह सीसो कहिंचऽपुट्ठा कहंति आयरिया। सीसाणं तु हियट्ठा विपुलतरागं तु पुच्छाए ॥३८॥ णामंठवणाधम्मो दब्वधम्मो अभावधम्मो अ। एएसिं नाणत्तं वुच्छामि अहाणुपुवीए ॥ ३९ ॥ दव्वं च अस्थिकायप्पयारधम्मो अमावधम्मो अ । दबस्स पजवा जे ते धम्मा तस्स
दव्वस्स॥४०॥धम्मस्थिकायधम्मो पयारधम्मो य विसयधम्मो य। लोइयकुप्पाक्यणिअलोगुत्तर लोगऽणेगविहो॥४१॥ गम्मपसुदेसरजे पुरखरगामगणगोविराईणं । सावज्जो उ कुवित्थियधम्मो न जिणेहि 14 उपसत्यो ॥ ४२ ॥ दुविहो लोगुत्तरिओ सुअधम्मो खलु चरित्तधम्मो अ। सुअधम्मो सझाओ चरित्तधम्मो समणधम्मो ॥४३॥ दव्वे भावेऽवि अमंगलाई दव्वमि पुण्णकलसाई। धम्मो उ भावमंगलमेत्तो ९३६३ श्री दशकालिक नियुक्ति
मुनि दीपरनसागर