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II दिया एगराईदिया मिक्सुपडिमा।३१।मासियं णं भिक्सुपडिम पडिक्सस्स अणगारस्स निचं वोसहकाए चियत्तदेहे जे केई उक्सग्गा उप्पजति तं०-दिशा पा माणसा वा तिरिक्त
जोणिया वा ते उप्पणे सम्मं सहति खमति तितिक्षति अहियासेति, मासियं णं मिक्सुपडिम पडिवण्णस्स अणगारस्स कप्पा एगा दत्ती भोयणस्स पढिगाहित्तए एगा पाणगस्स,
अण्णाउँछं सुद्धोवहडं निहित्ता पहवे तुप्पयचउप्पयसमणमाहणअतिहिकिविणवणिमगा, कप्पाइ से एगस्स भुंजमाणस्स पडिगाहित्तए, णो बुहं णो तिहं णो चउन्हंणो पंचई Mणो गविणीए णो बालवच्छाए णो दारगं पेजमाणीए नो अंतो एलयस्स दोवि पाए साहद्ध दलमाणीए नो पाहि एलयस्स दोवि पाए साहट बलमाणीए, एग पाए।
पार्य बाहिं किच्चा एलुयं विक्संभइत्ता एवं दलयति एवं से कप्पति पडिगाहित्तए, एवं से नो दलयति एवं से नो कप्पह पडिगाहित्तए, मासियं णं भिक्खुपडिम पडिवण्णस्स अणगारस्स तओ गोयरकाला पं० २०-आदिमे मजिसमे परिमे, आदि चरेजा णो मज्झे चरिजा णो चरिमे चरिजा, मझे चरेजा नो आइ चरेजा नो परिमे चरेजा, चरिमं चरेजा नो आदिम चरेजा नो मझे चरेजा, मासियं णं भिक्सुपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स छबिहा गोयरचरिया ५० त०- पेला अखपेला गोमुत्तिया पयंगवीथिका संचुकावडा गंतुंपचागया, मासिय णं भिक्खुपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स जत्य णं केइ जाणति कप्पड़ से तत्य एगराइयं वसित्तए, जत्य णं केड़ न जाणइ से कप्पति तत्व एगरायं वा दुरायं वा वसित्तए, नो कप्पा एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वत्थए, जंतत्व एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वसति से संतरा छेदे वा परिहारे वा, मासियं गं भिक्खुपडिम पडिवण्णस्स कप्पति चत्तारि भासाओर भासित्तए तं०-जायणी पुच्छणी अणुण्णवणी पुट्ठस्स वागरणी, मासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवण्णस्स० कप्पति तओ उवस्सगा पडिलेहित्तए त०- अहे आरामगिहंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलगेहंसि वा, मासियं णं भिक्षु० कप्पन्ति तओ उबस्सगा अणुण्णवित्तए तै०-अहे आरामगिहं अहे वियडगिहं अहे रुक्खमूलगिह, मासियणं कप्पइ तओ उवस्सया उवायणावित्तए तं चेच, मासियं णं कप्पइ तओ संथारगा पडिलेहित्तए तं०- पुढवीसिलं वा कट्ठसिलं वा आहासंथडमेव, मासियं णं भिक्सुपडिम पडिवण्णस्स कप्पह तओ संथारा अणुपणवेत्तए तं चेच, मासियं कप्पंति तओ संथारा ओवायणावित्तए तं चेव, मासियं० इत्थी उबस्सयं उवागरिछना से इत्थी एवं पुरिसे णो से कप्पइ तं पडुच निक्खमित्तए वा पविसि. तए वा, मासियं० जाव पडिवण्णस्स केइ उपस्सर्य अगणिकाएण झामेजा नो से कप्पड़ तं पडुच निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, तत्थ ण केड वधाय असिं गहाय आगच्छेजा जाप से नो कप्पइ तं पहुच अलंचित्तए वा पलंबित्तए पा, कप्पड़ से आहारियं रीइत्तए, मासियं णं भिक्खुपडिमं जाव पायंसि थाणू वा कंटए वा हीरए वा सकरा वा अणुपविसेज्जा नो कप्पड़ से नीहरित्तए वा विसोहित्तए वा कप्पड़ से आहारियं रीइत्तए, मासियं णं जाव अच्छिसि वा पाणाणिवा पीयाणि या रए वा परियापजिजा नो से कप्पानीहरित्तए वा विसोहित्तए वा, कप्पड़ से आहारीयं रीइत्तए, मासियं णं. जत्येष सूरिए अस्थमेज तत्व जलंसि वा बलंसि वा दुग्गंसि वा निण्णंसि वा पवयंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा कप्पड़ से तं स्यणि तत्थेव उवायणावित्तए, नो से कप्पड़ पदमवि गमित्तए, कप्पइ से कालं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते पाईणाभिमुहस्स वा दाहिणाभिमुहस्स वा पडीणाभिमुहस्स वा उत्तराभिमुहस्स वा आहारीयं रीइत्तए, मासियं णं० नो कप्पड़ अणंतरहियाए पुढवीए निदाइत्तए वा पयलाइत्तए पा, केवली पूया आदाणमेयं, से तत्य निहायमाणे वा पयलायमाणे वा हत्थेहिं भूमि परामुसेजा अहाविधिमेव ठाणं ठाइत्तए निक्खमित्तए वा, उच्चारपासवणेणं उब्चाहिजेजा नो से कप्पड ओगिण्हित्तए, कप्पड़ से पुष्वपडिलेहितए चंडिले - उञ्चारपासवर्ण परिद्ववित्तए, तमेव उवस्सयं आगम्म अहाविधिं ठाणं ठाइत्तए, मासिय० नो कप्पइ ससरक्खेहिं पाएहिं (काएहिं प्र०) गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा नि० पवि०, अह पुण एवं जाणेजा-स सरक्खे सेअत्ताए वा जाहत्ताए वा मलत्ताए वा पंकत्ताए वा विद्धत्थे(परिणए)से कप्पड़ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख० पवि०, मासियं० नो कप्पड़ सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा हत्थाणि या पायाणि वा दंताणि वा अच्छीणि वा मुह वा उच्छोलित्तए वा पधोवित्तए वा णण्णत्थ लेवालेवेण वा, मासियंणं० नो कप्पइ आसस्स वा हस्थिरस वा गोणस्स वा महिसरस वा कोलस्स वा साणस्स वा (कोलसुणगस्स वा) दुट्ठस्स वा बग्घस्स वा० आवडमाणस्स पदमवि पञ्चासकित्तए, अदुवस्स आवडमाणस्स कप्पति जुगमित्तं पचोसकित्तए, मासियं शं नो कप्पइ छायाओ सीयंति उण्हं इत्तए उपहाओ उण्हंति नो छायं एत्तए, जं जत्य जया सिया तं तत्थ अहियासए, एवं खलु एसा मासिया भिक्खुपडिमा अहामुत्तं अहाकप्पं अहामगं अहातचं सम्म काएणं फासित्ता पालित्ता सोहिता तीरित्ता किहित्ता आराहित्ता आणाए अणुपालित्ता भवति । ३२ । दोमासियं णं भिक्खुपडिमं निचं वोसट्टकाए तं चेव जाय दो दत्ती, तिमासियं० तिष्णि दत्तीओ चाउमासियं० चत्तारि दत्तीओ पंचमासियं पंच दत्तीओ उमासिय छ दत्तीओ सत्तमासियं सत्त दत्तीओ, जत्थ जत्तिया मासा तत्थ तत्तिया दत्तीओ। ३३ । पढम सत्तराईदियं णं भिक्सुपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स निचं पोसिट्ठकाए जाव अहियासेड, कप्पाह से चउत्येणं ९८५ दशाश्रुतस्कंधच्छेदसूत्र, दसा-9
मुनि दीपरत्नसागर