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________________ N दाजीवरस। अम्भितरगा पत्ता पत्तेयं केसरा मिंजा ॥९१॥ वेणुनल इक्खुवाडिय समासइक्खू य इकडेरडे। करकर सुंठि विहंगू तणाण तह पत्रमाणं च ॥१२॥ अचिंछ पर्च बलिमोडओ माय एगस्स होति जीवस्स । पत्तेयं पत्ताई पुष्फाई अणेगजीवाई ॥९३॥ पृसफलं कालिंग तुं तउसेल एलवालुंक। घोसालय पंडोलं तिंदर्य व तेंदूर्स ॥९४॥ चिंटस(ट)मं सकडाह एयाई हर्वति एगजीवस्स। पत्तेयं पत्ताई सकेसरं केसर मिंजा ॥९५॥ सप्काए सज्झाए उहलिया य कुहण कंदुके। एए अर्णतजीवा कंदुके होइ भयणा उ ॥९६॥२५॥ बीए जो. पणिभूए जीवो वकमा सो अन्नो वा। जोऽविय मूले जीवो सोऽविय पत्ते पढमयाए॥९७॥ सबोऽवि किसलओ खलु उम्गममाणो अर्णतओ भणिओ। सो चेव विवड्ढतो होइ परित्तो अर्णतो वा ॥९८॥ समयं वर्कताणं समयं तेर्सि सरीरनिवत्ती। समयं आणुगाहणं समयं ऊसासनीसासो ॥९९॥ इकस्स उजं गहर्ण बहूण साहारणाण तं चेव । जं पहुयाण गहर्ण समासओ तपि इकस्स ॥१०॥ साहारणमाहारो साहारणमाणपाणगहणं च। साहारणजीवाणं साहारणलक्खणं एवं ॥१॥ जह अयगोलोचतो जाओ तत्ततवणिजसंकासो। सो अगणिपरिणओ निगोयजीवे तहा जाण ॥२॥ एगस्स दोण्ह तिण्ह व संखिजाण व न पासिउं सका। दीसंति सरीराई निगोयजीवाणऽणताणं ॥३॥ लोगागासपएसे निगोयजीवं ठवेहि इकिका एवं मविजमाणा हवंति लोगा अर्णता उ॥४॥ लोगागासपएसे परित्तजीवं ठवेहि इकिक। एवं मविजमाणा हवंति लोगा असंखिजा ॥५॥ पत्तेया पजत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता उ। लोगाऽसंखा पजत्तयाण साहारणमर्णता ॥६॥ एएहिं सरीरेहिं पञ्चक्खं ते परूविया जीवा । सुहुमा आणागिझा चक्सुएफार्स न ते इति ॥१०॥ जे यावने तह ते समासओ विहा पंत-पजत्तगा य अपजत्तगा य, तत्य जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्य णं जे ते पजत्तगा तेसिंण बन्नाएसेणं गंधाएसेणं रसाएसेणं फासाएसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखिजाई जोणिप्पमुहसयसहस्साई, पज्जत्तगनीसाए अपजत्तगा वक्कमति जत्य एगो तत्थ सिय संखिजा सिय असंखिजा सिय अर्णता, एएसिं णं इमाओ गाहाओ अणुगंतवाओ, त०-कंदा य कंदमूला य, रुक्खमूला इयावरे। गुच्छा य गुम्म वल्ली य, वेणुयाणि तणाणि य॥८॥पउमुप्पल १० संघाडे हढे य सेवाल किण्हए पणए। अवए य कच्छभाऽऽणी कंदुफेगूणवीसइमे ॥९॥ तयछतिपवालेसु (य), पत्तपुष्फफलेसु य। मूलग्गमज्झबीएसु, जोणी कस्सवि कित्तिया ॥११०॥ सेतं साहारणसरीखायरवणस्सइ. काइया, सेतं पायरवणस्सकाइया, सेतं पणस्सहकाइया, सेल एगिदिया।२६। से किं तं वेइंदिया १.२ अणेगविहा पं०२०- पुलाकिमिया कृच्छिकिमिया गंडयलगा गोलोमा णेउरा सोमंगलगा वंसीमुहा महमुहा गोजलोया जलोया जालाउया संखा संखणगा घुल्ला खुल्ला गुलया खंघा वराडा सोत्तिया मुत्तिया कलुयावासा एगोवत्ता दुहओवत्ता नंदियावत्ता संयुका माइवाहा सिप्पिसंपुडा चंदणा समुहलिक्खा जे यावने तहप्पगारा, सधे ते संमुच्छिमा णपुंसगा, ते समासओ दुविहा पं० त०- पजत्तगा य अपजत्तगा य, एएसि णं एवमाझ्याण येई - दियाण पजत्तापजत्ताणं सत्त जाइकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, सेत्तं बेइंदियसंसारसमावन्नगजीवपनवणा ।२७।से किंत तेईदियसंसारसमावनगजीवपन्नवणा १,२ अणेगविहा पं० त०-ओवहया रोहिणिया कुंथू पिपीलिया उसगा उद्देहिया उक्कलिया उप्पाया उप्पडा तणहारा कट्ठहारा मालुया पत्ताहारा तणटिया पत्तवेंटिया पुष्फबेटिया फलटिया बीयटिया तेत्रणमिजिया तओसिमिजिया कप्पासद्विमिंजिया हिल्लिया झिल्लिया सिंगिरा किंगिरिडा बाहुया लहुया सुभगा सोपस्थिया सुयटा ईदकाइया ईदगोक्या तुरुतुंवगा कुत्थलवाहगा जया हालाहला पिसुया सयवाइया गोम्ही हत्यिसोंडा जे यावन्ने तहप्पगारा, सचे ते संमुच्छिमा नपुंसगा, ते समासओ दुपिहा पं० त० पज्जत्तगा य अपजत्तगा य, एएसिक एवमाझ्याण तेईदियार्ण पजत्तापजत्ताणं अन जाइकलकोडिजोणिप्पमहसयसहस्सा भवतीतिमक्खाय. से तेईदियसंसारसमावनजीवपनवणा ।२८। से कित चरिदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा १.२ अणेगविहा पं० त० - अंधिय पोत्तिय मच्छिय मसगा कीडे तहा पयंगे या ईकुण कुकुड कुकह नंदावते य सिंगिरिडे ॥१११॥ किण्हपत्ता नीलपत्ता लोहियपत्ता हालिदपत्ता सुकिलपत्ता चित्तपक्खा विचित्तपक्खा ओहंजलिया जलचारिया गंभीरा णीणिया तंतवा अच्छिरोडा अच्छिवेहा सारंगा नेउरा दोला भमरा भरिली जरुला तोहा चिंठ्या पत्तविच्या छाणविच्छ्या जलविच्छया पियंगाला कणगा गोमयकीडा जे यावन्ने तहप्पगारा, सोते संमच्छिमा नपंसगा, ते समासओ इविहा पं०० पजत्तगा य अपजत्तगा य, एएसिणं एवमाइयाणं चरिंदियाणं पजत्तापजत्ताणं नव जाइकुलकोडिजोणिप्पमुहसयसहस्साई भवंतीतिमक्खायं, सेतं चरिदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा ।२९। से कितं पंचेंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा?,२चउचिहा पं० त०-नेरइयपंचिंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा तिरिक्खजोणियपंचिदिय मणुस्सपंचिदिय० देवपंचिंदि०।३०। से किं तं नेरहया ?.२ सत्तविहा पं० त०-रयणप्पभापुढवीनेरइया सकरप्पभा. वालुयप्पभा० पंकप्पभा० धूमप्पभा० तमप्पभा० तमतमप्पभा०, ते समासओ दुविहा पं० ते०-पजत्तगा य अपजत्तगा य, सेत्तं नेरइया ।३१। से किं ते पंचिंदियतिरिक्खजोणिया?,२तिविहा पं० त०-जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया य थलयर० य सहयर० य ६७९पज्ञापना, पद-१ मुनि दीपरत्सागर
SR No.003915
Book TitleAagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages107
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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