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________________ RANGBRADAARAC | पं० त० पज्जत्तगसुहुमवाउकाइया य अपज्जत्तगसुहुमवाउकाइया य, सेत्तं सुहुमबाउकाइया, से किन्तं वादरखाउकाइया?.२ अणेगविहा पं० ते०-पाईणवाए पडीणवाए दाहिणवाए उदीणवाए उड्ढवाए अहोवाए तिरियवाए विदिसीवाए वाम्मामे बाउक्कलिया वायमंडलिया उकलियावाए मंडलियावाए गुंजावाए झंझावाए संववाए घणवाए तणुवाए सुद्धवाए जे यावण्णे तहप्पगारा, ते समासओ दुविहा पं० ते-पजत्तगा य अपजत्तगा य, तत्य जे ते अपज्जत्तगा ते असंपत्ता, तत्य ण जे ते पज्जत्तगा एतेसिं णं वण्णादेसेणं गन्धादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेजाई जोणिप्पमुहसयसहस्साई पजत्तगनिस्साए अपज्जत्तया वक्कमति जत्य एगो तत्थ नियमा असंखेज्जा, सेत्तं बादरखाउक्काइया, से तं बाउकाइया।१८। से किं तं वणस्सइकाइया १,२ दुविहा पं० ते०-सुकुमवणस्सइकाइया य बायरवणस्सइकाइया य ।१९। से किन्तं सुहुमवणस्सइकाइया १,२ दुबिहा पं० तं०- पजत्तगहुमवणस्सइकाइया य अपजत्तगसुहुमवणस्सइकाइया य, सेत्तं मुहुमवणस्सइकाइया ।२०।से किन्तं बादरवणस्सइ०१.२ दुविहा पं० त०- पत्तेयसरीखादरवणस्सइ. साहारणसरीरचादरवणसइ०।२१।से किन्तं पत्तेयसरीवादरवणस्सइकाइया ?,२ दुवालसविहा पं० त०- रुक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वाडी य पवगा चेवा तण वलय हास्य ओसहि जलरह कुहणा य बोदवा ॥१४॥२२। से किन्तं रुक्खा १,२ दुविहा पं० त० एगट्ठिया य बहुबीयगा य, से कितै एगट्टिया १,२ अणेगविहा पं० त०-'णिंबंचजंबुकोसंवसालअंकुल पीलु सेल य। सङइ मोयइ मालुय बउल पलासे करंजे य॥१५॥ पुत्तंजीवयऽरिट्टे विहेलए हरिडए य भिल्लाए। उबेभरिया स्वीरिणि बोदवे धायइ पियाले ॥१६॥ पूइय निंब करजे सुण्हा तह सीसवा य असणे य। पुनाग नागरुक्खे सोवण्णि तहा असोगे य॥१७॥ जे यावण्णे तहप्पगारा, एएसिं णं मूलावि असंखेजजीविया कंदावि संधावि तयावि सालावि पवालावि, पत्ता पत्तेयजीविया, पुष्फा अणेगजीविया फला एगट्ठिया, सेत्तं एगट्ठिया, से किं तं बहुबीयगा?,२ अणेगविहा पं० सं०-'अस्थिय तेंदु कविढे अंबाडग माउलिंग बिल्ले य। आमलग फणिस दालिम आसोदे उंबर बडे य॥१८॥ जग्गोहणंदिरुक्खे पिप्परि सयरी पिलक्खुरुस्खे या काउंचरि कुत्युंभरि बोदवा देवर पिलक्सरुवखे या काउंपरि कथंभरिबोदवा देवदाली य॥१९॥ तिलए लउए उत्तोह सिरीस । सत्तवन दहिवन्ने। लोद्ध दव चंदणऽजुण णीमे कुडए कर्यवे या ॥२०॥जे यावने तहप्पगारा, एतेसिणं मूलावि असंखेजजीविया कंदावि खंधावि सालावि, पत्ता पत्तेयजीविया पुण्फा अणेगजीविया फला बहुवीयगा, सेत्तं चहुबीयगा, सेत्तं रुक्खा, से किं तं गुच्छा १,२ अणेगविहा पं० त०-वाइंगणि सल्लइ युण्डई य तह कत्युरी य जीभुमणा। रूबी आढइ गीली तुलसी तह माउलिंगी य ॥२१॥ कच्छंभरि पिप्पलिया अतसी बिल्ली य काइमाईया। बुचू (म० चा) पडोलकंदे विउवा (प्र० चुण्ण) बत्थलंदरे ॥२२॥ पत्तउर सीयउरए हवंति तहा जयसए य बोदथे। णिम्गू मिअकं तवरि अत्थई चेव तलउ दाडा ॥२३॥ सण पाण कास मुद्दग अग्घाडग साम सिंदुवारे य। करमद अडूसग करीर एरावण महित्य ॥२४॥ जाउलग मील परिली गयमारिणि कुत्रकारिया भंडा। जीवइ केयह वह गंज पाडला दासि अंकोले ॥२५॥ जे यावचे तहप्पगारा, सेत्तं गुच्छा, से किं तं गुम्मा?,२ अणेगविहा पं० त०. 'सेणयए णोमालिय कोरंटय बंधुजीवग मणोजे। पिइयं पाणं कणयर कुजय तह सिंदुबारे य ॥२६॥ जाई मोगर तह जूहिया य तह मलिया य वासंती। वत्थुल कत्थुल सेवाल गंठी मगदंतिया चेव ॥२७॥ चंपग जीई पिइया कुंदो (कन्दो) तहा महाजाई। एवमणेगागारा हवंति गुम्मा मुणेयवा ॥२८॥ सेत्तं गुम्मा, से किं तं लयाओ१,२ अणेगविहाओ पं० ०. "पउमलया णागलया असोग चंपगलया य चूतलता। वणलया वासंतिलया अइमुत्तय कुंद सामलया ॥२९॥ जे यावत्रा तहप्पगारा, सेत्तं लयाओ, से किं तंबाडीओ',२ अणेगविहाओ पं० त०' पूसफली कालिंगी तुंची तउसी य एलवालकी। घोसाडइ पंडोला पंचंगुलि आय णीली या (प्र० नाली य) ॥३०॥ कंगूया कंदुइया ककोडा कारियालई सुभगा। कुयवाय वागली पाच वाली तह देवदाली य॥३१॥ अफेया अइमुत्तग णागलया कण्ह सूरवल्ली य। संघट्ट सुमणसावि य जासुवण कुविंदवाली य॥३२॥ मुहिय अंगावाडी किण्हछी. रालि जयंति गोवाली। पाणी मासावाडी गुंजीवाडी य विच्छाणी ॥३३॥ ससिवी दुगोत्तफुसिया गिरिकण्णइ मालुया य अंजणई। दहिफोलइ कागलि मोगली य तह अकबोंदी य ॥३४॥ जे यावना तहप्पगारा, सेत्तं वाडीओ, से कितं पत्रगा?,२ अणेगविहा पं० त० इक्खू य इक्सुवाडी वीरुणी तह एकडे य मासे या मुंठे सरे य वेत्ते तिमिरे सतपोस्म णले य ॥३५॥ से बच्छू कणए कंकासे य चाववंसे य। उदए कुडए विसए कंडा चेडे य कालाणे ॥३६॥ जे यावने तहप्पगारा, सेत्तं पागा, से किं तं तणा',२ अणेगविहा पं० त०-संडिय मंतिय होत्तिय दम्भ कुसे पत्रए य पोडाला। अजुण असाढए रोहियंसे मुयवे य खीर भुसे ॥३७॥ एरंटे कुरुविंदे करजर सुठे तहा विभंगृ य। महुरतण कुरय सिप्पिय बोदवे सुंकलितणे य ॥३८॥जे यावने तहप्पगारा, सेतं तणा, से कि तं वलया?,२ अणेगविहा पं० त०-'ताल तमाले तकलि तेयली साली य सारकत्ताले। सरले जावति केतह कदली तह धम्मरक्खे य ॥३९॥ मु(भु)यरुक्स हिंगुरुक्खे लवंगुरुकले य होइ बोडरे। पूयफली खजूरी बोदश णालिएरी य ॥४०॥ जे यावणे तहप्पगारा, सेतं वलया, से किं तं हरिया ?,२ ६७७ मज्ञापना पर मुनि दीपरत्नसागर
SR No.003915
Book TitleAagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages107
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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