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________________ नील० लोहिय० हालिद्द० सुकिल० गन्धओ सुम्भिगन्ध दुभि० रसओ तित्तरस जाव महुर० फासओ कक्खड० जाव लुक्खफासपरिणयावि २०, जे संठाणओ वट्टसंठाणपरिणता तेवण्णओ कालवण्ण जाव मुकिङ गन्धओ सुग्भिगन्ध दुम्भिक रसओ तित्तरस जाव महुर० फासओ कक्खड० जाव लुक्खफासपरिणयावि२०, जे संठाणओ तंससंठाणपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणयावि जाव सुकिङपरिणयावि गन्धओ सुब्भिगन्ध० दुब्भि० रसओ तित्तरस जाव महुरस्सपरिणयावि फासओ कक्खडफास० जाव लुक्खफासपरिणयावि२०, जे संठाणओ चउरंससंठाणपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि जाव सुक्किल गन्धओ सुभिगन्ध दुम्भि० रसओ तित्तरस जाव महुर० फासओ कक्सडफास जाव लुक्खफासपरिणयावि २०, जे संठाणओ आयतसंठाणपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि जाव सुकिल० गन्धजो सुम्भिगन्ध दुम्भि० रसओ तित्तरस जाव महुररसपरिणयावि फासओ कक्खडफास जाव लुक्खफासपरिणतावि २०.१००।सेत्तं रूविजजीवपन्नवणा। सेत्तं अजीवपण्णवणा।४ासे किं तं जीवपन्नवणा?,२ दुविहा पं० त०-संसारसमावण्णजीवपन्नवणा य असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा य।५।से किं तं असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा?,२दुविहा पं० त०-अणन्तरसिद्धजसंसार० य परम्परसिद्धअसंसार० य।६।से किंतं अणन्तरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा?,२ पण्णरसविहा पं० तं०-तित्यसिद्धा अतित्थसिद्धा तित्वगरसिद्धा अतित्वगरसिद्धा सर्यबुद्धसिद्धा पत्तेयबुद्धसिद्धा बुद्धबोहियसिद्धा इत्थीलिङ्गसिद्धा पुरिसलिङ्गसिद्धा नपुंसकलिङ्गसिद्धा सलिङ्गसिद्धा अन्नलिङ्गसिद्धा गिहिलिङ्गसिद्धा एगसिद्धा अणेगसिद्धा, सेतं अर्णतर०॥७॥ से किंतं परम्परसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा?, २ अपेगविहा पं० त०- अपढमसमयसिद्धा दुसमयसिद्धा तिसमयसिद्धा०चउसमयसिद्धान्जाव सकिजसमयसिद्धा असशिजसमयसिद्धा अणन्तसमयसिद्धा०, सेत्तं परम्परसिद्धाससारसमावण्णजीवपण्णवणा, सेतं असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा। दासे किं ते संसारसमावण्णजीवपण्णवणा?,२पञ्चविहा पं० त०- एगेंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा बेइन्दिय तेइन्दिय० चउरिन्दिय पश्चिन्दियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा।९। से किन्तं एगेन्दियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा१,२ पञ्चविहा पं० त०. पुढवीकाइया आउ० तेउ० वाउ० वणस्सइकाइया।१०। से किं तं पुढवीकाइया?, २ दुविहा पं० त०-सुहुमपुढवीकाइया य चादरपुढवीकाइया य।११। से किन्तं मुहुमपुढवीकाइया १,२ दुविहा पं० त०-पज्जत्तसुहुमपुढवीकाइया य अपजत्तमुहुमपुढवीकाइया य, सेत्तं मुहुमपुढवीकाइया ।१२।से किं तं बादरपुढवीकाइया ?, २ दुविहा पं० त०. सण्हचादरपुढवीकाइया य खरवादरपुढवीकाइया य ।१३। से किंत सण्हबायरपुढवीकाइया १,२ सत्तविहा पं० त०- किण्हमत्तिया नील० लोहिय हालिह० सुकिल्ल० पाण्डु० पणगमत्तिया, सेत्तं सह०।१४। से किं ते खरवायरपुढवीकाइया १,२ अणेगविहा पं० त०-'पुढवी य सकरा वालुया य उवले सिला य लोणूसे । अय तंब तउय सीसय रुप्प सुवने य बहरे य॥१०॥ हरियाले हिंगुलए मणोसिला सासगंजण पवाले। अब्भपडलऽभवालय बायरकाए मणिविहाणा ॥११॥ गोमेज्जए य रुयए अंके फलिहे य लोहियक्खे य। मरगय भसारगाढे भुयमोयग इन्दनीले य ॥१२॥ चंदण गेरुय हंसगब्भ पुलए सोगन्धिए य चोदते। चन्दप्पभवेरुलिए जलकंते सूरकते य ॥१३॥ जे यावन्ने तहप्पगारा, ते समासओ दुविहा पं० त० पजत्तगा य अपजत्तगा य, तत्य णं जे ते अपजलगा ते णं असंपत्ता, तत्य णं जे ते पजत्तगा एतेसि वनादेसेणं गन्धादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई सङ्गेज्जाई जोणिप्पमुहसतसहस्साई, पज्जत्तगणिस्साए अप. जत्तगा यकमात जत्य एगा तत्थ नियमा असजा, सत्त खरवायरपुढवाकाइया, सत्तं वायरपुढविकाइया, सेतं पुढवीकाइया ।१५। से कितं आउकाइया.२९विहा 4.10.सह. 18 मआउक्काइया य बादरआउकाइया य, से कि त मुहुमआउकाइया ?,२ दुविहा पं० त०-पजत्तसुहुमआउकाइया य अपजत्तसुहम० य, सेतं सुटुमाउकाइया, से किं ते चादरआउकाइया?, २ अणेगविहा पं० त०. उस्सा हिमए महिया करए हरतणुए सुद्धोदए सीतोदए उसिणोदए खारोदए खहोदए अम्बिलोदए लवणोदए वारुणोदए खीरोदए घओदए खोतो. दए रसोदए जे यावने तहप्पगारा, ते समासओ दुविहा पं० त० पजत्तगा य अपजत्तगाय, तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्थ णं जे ते पजत्नगा एतेसि वण्णादेसेणं गन्धादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेजाई जोणिप्पमुहसयसहसाई पजत्तमनिस्साए अपजत्तगा वकर्मति जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखिज्जा। सेतै बादरआउक्काइया। से तं आउकाइया ।१६। से कित तेऊकाइया १,२ दुविहा पं० त०-सुहुमतेऊकाइया य चादरतेऊकाइया य, से किन्तं सुहुमतेऊकाइया?,२ दुविहा पं० २०-पज्जत्तगा य अप| जत्तगा य, सेत्तं मुहुमतेऊकाइया। से किन बादरतेऊकाइया?.२ अणेगविहा पं० त०-इङ्गाले जाला मुम्मुरे अची जलाए मुद्धागणी उक्का विजू असणी णिग्याए संघरिससमुहिए सरकन्तमणिणिस्सिए जे यावने तहप्पगारा, ते समासओ दुविहा पं० त०-पजत्तगा य अपजत्तगा य, तत्य णं जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, नत्य ण जे ने पजत्तगा एएसिणं बन्नादेसेणं गन्धादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई सकेजाई जोणिप्पमुहसयसहस्साई पजत्तगणिस्साए अपजत्तगावकर्मति जत्थ एगो नत्थ नियमा असंखिज्जा। सेत्तं वादरतेऊकाइया। सेतं तेऊकाइया।१७। से किन्तं बाउकाइया ?,२ दुविहा पं० त०- मुहुमवाउकाइया य चादरखाउकाइया य, से किन्तं सुहमवाउकाइया?,२ दुविहा (१६९) ६७६ प्रज्ञापनाः पर मुनि दीपरनसागर
SR No.003915
Book TitleAagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages107
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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