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________________ क्खियस्स परो सन्तेहिं जाच वागरित्तए. तमे य णं देवाणपिया ! रेवई गाहावहणी सन्तेहिं अणिद्वेहिं० वागरणेहिं वागरिया तं गं तुम एयरस ठाणस्स आलोएहि जाव जहारिहं च पायच्छिन्नं पडिवजाहि. तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमढें विणएणं पडिसुणेइ त्ता तओ पडिणिक्वमइ ना रायगिहं नयरं मज्झमझेणं अणुष्प. विसइ ना जेणेव महासयगस्स समणोबासयस्स गिहे जेणेव महासयए समणोवासए नेणेव उवागच्छइ, तए णं से महासयए समणोवासए भगवं गोयम एजमाणं पासइ ना हट्टजावहियए भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ, तए णं से भगवं गोयमे महासययं समणो० एवं व०-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ-नो खलु कप्पड देवाणुपिया ! समणोवासगस्स अपच्छिम जाव वागरित्तए, तुमे णं देवाणुप्पिया! रेवई गाहावइणी सन्तेहिं जाव बागरिया ने णं तुमं देवाणुपिया! एयरस ठाणस्स आलोएहि जाब पडिवज्जाहि, नए णं से महासयए समणोवासए भगवओ गोयमस्स तहत्ति एयमहूँ विणएणं पडिसुणेइ ता तस्स ठाणस्स आलोयइ जाव आहारिहं च पायच्छित्तं पडियनइ. तए णं से भगवं गोयमे महासयगस्स समणोबासयस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमइ त्ता रायगिहं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छड़ ना जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद ना समणं भगवं महावीरं बन्दइ नमसइ ना सञ्जमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई रायगिहाओ नयराओ पडिणिक्वमइ ना बहिया | जणवयविहारं बिहरइ । ५३। तए णं से महासयए समणोवासए बहूहिं सील जाव भावेत्ता वीसं बासाइं समणोबासगपरियायं पाउणिना एकारस उवासगपडिमाओ सम्म काएणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं मूसित्ता सट्टि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे अरुणवसिए विमाणे देवनाए G| उपवने चत्तारि पलिओवमाई ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ०। निक्खेको।५४॥ महासयगज्झयणंटा नवमस्स उक्खेवओ. एवं खल जम्बु ! तेणं कालेण सावत्धी नयरी चेइए जियसत्तू राया, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए नन्दिणीपिया नाम गाहावई परिवसह अडढे चत्तारि हिरण्णकोडीओ निहाणपउनाओ चत्तारि हिरणकोडीओ वडिढपउत्ताओ चनारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं अस्सिणी भारिया सामी समोसढे जहा आणन्दो तहेव गिहिधम्म पडियजइ, सामी बहिया विहरइ, तए णं से नन्दिणीपिया समणोवासए जाए जाप विहरइ, तए णं तस्स नन्दिणीपियस्स समणोवासयस्स बहूहिं सीलनयगुण जाव भावमाणस्स चोइस संबच्छराई यइकन्ताई तहेब जेठं पुत्तं ठवेइ धम्मपण्णत्ति० वीसं वासाई परियागं नाणितं अरुणगवे विमाणे उबवाओ महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ०, निक्खेवो । ५५॥ नन्दिणीपियजायणं ९॥ दसमस्स उक्खेवो, एवं खलु जम्मू ! तेणं कालेणं सावत्थी नयरी कोहए चेहए जियसत्तू राया, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए सालिहीपिया नाम गाहावई परिवसह अड्ढे दिले. चत्नारि हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडीओ वुद्धिपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्यरपउत्ताओ चत्तारि वया दसगोसाहम्सिएणं वएणं फरगुणी भारिया सामी समोसढे जहा आणन्दो तहेब गिहिधम्म पडिबज्जइ, जहा कामदेवो नहा जेट्ठ पुत्तं ठवेत्ता पोसहसालाए समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ति उवसम्पजिनाणं विहरइ, नवरं निरुवसग्गओ एकारसवि उवासगपडिमाओ तहेव भाणियवाओ एवं कामदेवगमेणं नेयव्वं जाव सोहम्मे कप्पे अरुणकीले बिमाणे देवत्ताए उपवने चत्तारि पलिओचमाई ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ०।५६। दसण्हवि पणरसमे संवच्छरे वट्टमाणाणं चिन्तादसण्हवि वीसं वासाई समणोवासयपरियाओ। एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमम्स अङ्गम्स उवासगदसाणं दसमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णते।५७। 'वाणियगामे चम्पा दुवे य वाणारसीइ नयरीए। आलंभिया य पुरवरी कम्पिादपुरं च बोध ॥२॥ पोलासं रायगिहं सावत्थीए पुरीएं दोन्नि भवे। एए उवासगाणं नयरा खल होन्ति बोदवा ॥३॥ सिवनन्द-भद्द-सामा-धन-बहुल-पुस अग्गिमित्ता य। रेवइ-अस्सिणि तह फरगुणी.य भजाण नामाई ॥४॥ ओहिण्णाण पिसाए माया बाहि-धण- उत्तस्जेि य। मजा य सुषया दुवया निरुबसग्गया दोन्नि ॥५॥ अरुणे अरुणाभे खलु अरुणप्पह अरुणकन्त-सिट्टे य। अरुणझए य उट्टे भू (प्र०चय-वडिस गवे कीले ॥६॥ (चाली सहि असीई सट्ठी सट्ठी य स४ि दससहस्सा। असिई चत्ता चत्ता वए वहयाण सहसाणं ॥७॥ बारस अट्ठारस चउवीसं तिविहं अट्ठारसाइवि. न्नेयं धनेण तिचोवीसं वारस वारस य कोडीओ॥८॥ उडण-दन्तवण-फले अभिङ्गणुषहणे सिणाणे य । वत्थ-विलेवण-पुप्फे आभरणं धूव-पेज्जाइ ॥९॥ भक्खोयण-सूय-घए सागे माहुरजेमणऽण्ण-पाणे या तम्बोले इगवीसं आणन्दाईण अभिग्गहा॥१०॥ उड्ढं सोहम्म परे लोलए अहे उत्तरे हिमवन्ते। पजसए तह तिदिसि ओहिण्णाण त दसगस्स ॥११॥ दसण-बय-सामाइय-पोसह-पडिमा-अवम्भ-सञ्चित्ते। आरम्भ-पेस-उहिट्ठवजए समणभूए य॥१२॥ इक्कारस पडिमाओ वीसं परियाओ अणसणं मासे। सोहम्मे चउपलिया महाविदेहम्मि सिज्झिहिद ॥१३॥)५८॥ उवासगदसाओ समत्ताओ। उवासगदसाणं सत्तमस्स अङ्गस्स एगो सुयखन्धो दस अज्झयणा एकसरगा दससु चेव दिवसेसु उहिस्सन्ति तओ सुयखन्धो समुहिस्सइ अणु.५०१ उपासकदशांगं, असणं-०१० मुनि दीपरत्नसागर
SR No.003907
Book TitleAagam Manjusha 07 Angsuttam Mool 07 Uvasagdasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages19
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_upasakdasha
File Size12 MB
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