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________________ प्रबंधन बच्चों का मानसिक विकास हमारे उद्भव और विकास के साथ ही हमारे चिन्तन तथा चिन्तनमण्डल का उद्भव और विकास होना शुरू हो जाता है । हमारे चिन्तनमण्डल में स्वाभाविक रूप से विकास एवं परिवर्तन होता है। जन्म के बाद बालक का वातावरण के साथ समायोजन और प्रकृति के नियमों के साथ साक्षात्कार करना आवश्यक है । समायोजन और साक्षात्कार की गति और उसकी तीव्रता पर ही हमारे मानसिक संवेग तथा चिन्तन-मण्डल का विकास निर्भर करता है । Jain Education International उम्र की बढ़ोतरी के साथ ही चिन्तन-मण्डल भी फैलता चला जाता है। अन्तरिक्ष की तरह विराट् होता है मनुष्य का चिन्तन-मण्डल । हमारे जीवन में चित्त, बुद्धि, मन और चिन्तन जैसी अमूर्त शक्तियाँ इतनी विशदता और विराटता को समेटे हैं कि उन्हीं के चलते मानव-समाज की समस्त सभ्यताएँ एवं संस्कृतियाँ निर्मित और परिवर्तित होती हैं । मानव-समाज को वे युग भी देखने पड़ते हैं जिनके स्मरण - मात्र से ही नफरत के मारे रोंगटे बच्चों का मानसिक विकास For Personal & Private Use Only ४७ www.jainelibrary.org
SR No.003900
Book TitleKaise kare Vyaktitva Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2003
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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