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________________ लिए सफलता का आधार-सूत्र बन पाती है। यदि मनुष्य यह चाहता है कि उसकी संतति सभ्य, संभ्रान्त और संस्कारित हो तो उसे सबसे पहले उसकी बौद्धिक क्षमताओं को उजागर एवं परिपुष्ट करने का प्रयास करना चाहिए। अनेक मौकों पर वृद्धजनों से यह सुनने को मिलता है कि हमारे जमाने में ज्ञान और शिक्षा पर इतना अधिक बल नहीं दिया जाता था इसीलिए हमें आज अड़चनें महसूस होती हैं और उस जमाने की कमी खटकती है। एक सफल जीवन के लिए बौद्धिक विकास पहली अनिवार्यता है, यह बात सबको अपने व्यावहारिक जीवन में महसूस होने लग गई है। यही कारण है कि एक अनपढ़ और गँवार पिता भी अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए सक्रिय है। वह चाहता है कि उसका बेटा जैसे-तैसे पढ़-लिख ले और समाज में जीने और कुछ कर दिखाने लायक बन जाए; भले ही इसके लिए उसे कोई कष्ट ही क्यों न उठाना पड़े। . आम तौर पर यह देखा जाता है कि अपनी बुद्धिमान सन्तान पर हर व्यक्ति को गर्व होता है। व्यक्ति को अपने लड़के के नजन्मने या मर जाने पर इतना गम नहीं होता, जितना उसके बुद्धिहीन रह जाने पर होता है। जब कोई लड़का स्कूल जाता है तो माँ प्रसन्न होती है और जब वह अपनी परीक्षाओं में 'फर्स्ट डिविजन' से पास होने का प्रमाण-पत्र लेकर घर लौटता है तो घरवालों को इतनी खुशी होती है कि उसकी तुलना अन्य किसी खुशी से नहीं की जा सकती। __बुद्धिमान व्यक्ति कभी असफल नहीं हो सकता। जहाँ तक रोजगार या बेरोजगार का सवाल है, यह समस्या उन्हीं के सामने उपस्थित होती है, जो हकीकत में बुद्धिमान तो नहीं होते, मगर स्वयं की बुद्धिमत्ता का प्रमाणपत्र दिखाते फिरते हैं। बुद्धिमान आदमी कौड़ी के व्यवसाय से करोड़ों कमा लेगा। बाकी के प्रमाण-पत्र वाले तो करोड़ों के ख्वाब ही देखेंगे। ऐसे लोगों को तो घर बैठे-बैठाए पकी-पकायी रोटी चाहिए। खुद के बलबूते पर मेहनत करना कोई चाहते ही नहीं हैं। सबको तो केवल सरकारी नौकरियाँ चाहिए। सरकारी नौकरी में आदमी को फायदे नजर आते हैं। साल में चार - - - - - - - - - - - ४२ कैसे करें व्यक्तित्व-विकास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003900
Book TitleKaise kare Vyaktitva Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2003
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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