SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बच्चे का मधुर बोलना और प्रसन्न रहना पारिवारिक जीवन में हँसीखुशी भरा माहौल उत्पन्न करना है। एक हँसता-खिलता परिवार धरती का स्वर्ग है। घर में बच्चे का जन्म लेना ही पर्याप्त नहीं है, उसके जीवन के विकास के लिए हरसम्भव प्रयास करना भी जरूरी है। हमारी सन्तान अगर हमसे श्रेष्ठ साबित होती है तो यह हमारे प्रयासों का अभिवादन है। हमारी सन्तान सभ्य और संस्कारित हो, यह हमारी महान् उपलब्धि है और महान सौभाग्य भी। सन्तान को जन्म देना ही पर्याप्त नहीं है, या उनके लिए धनसम्पत्ति की व्यवस्था बैठाना ही काफी नहीं है, उन्हें अच्छे संस्कार और भाषा का आदर-अदब देना भी जरूरी है। हम अपने बच्चों को ऐसास्वरूप प्रदान करें कि वे हमारी सुख-शान्ति के तो आधार हों ही, हम उन पर गर्व भी कर सकें, ऐसे प्रयास उनके जन्म के साथ ही शुरू कर देने चाहिए। 000 २४ कैसे करें व्यक्तित्व-विकास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003900
Book TitleKaise kare Vyaktitva Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2003
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy