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________________ कपड़े उतारकर करता है। प्रेम-संवेग की उत्पत्ति तब होती है जब उसे कोई थपथपाता है, सहलाता है या गुदगुदाता है। प्रेम-संवेग की अभिव्यक्ति के रूप में या तो नवजात शिशु मुस्करा उठता है या गलगला उठता है। बच्चे की इन सारी प्रवृत्तियों को एक प्रकार से संवेगात्मक प्रतिक्रियाएँ न कहकर उत्तेजना-की-प्रतिक्रिया कहेंगे। ____ यहाँ यह उल्लेखनीय है कि नवजात शिशुओं के व्यक्तित्व में कुछ व्यक्तिगत अन्तर होता है। बहुत-से शिशु जन्म से ही शान्त प्रकृति के होते हैं तो कुछ तूफानी होते हैं। शिशु की इसी प्रकृति के आधार पर उसके भावी व्यक्तित्व की संभावना की जा सकती है। नवजात शिशु के व्यक्तित्व में उसकी जो सबसे बड़ी विशेषता होती है वह है समायोजनशीलता। गर्भ से बाहर आने के बाद बच्चा नये वातावरण के साथ बहुत जल्दी अपने आपको समायोजित/एडजस्ट कर लेता है। बच्चों में जैसे संस्कार डाले जाते हैं, वे उन्हीं को आत्मसात् करने में लग जाते हैं। प्रत्येक बच्चे में आत्म-निर्भरता का गुण जन्म लेते ही दिखाई देने लगता है। गाय का बछड़ा पैदा होने के कुछ समय बाद ही छलांग भरने लगता है। मृगशावक तो जन्म लेते ही उछलने-कूदने लगते हैं। मुर्गी का बच्चा उत्पन्न होने के बाद चोंच मारने लग जाता है। यह वास्तव में समायोजनशीलता के प्रति उसके उत्साह की अभिव्यक्ति है। सचमुच बच्चे द्वारा स्वयं को हर वातावरण में समायोजित कर लेना विश्व के लिए एक उल्लेखनीय प्रेरणा है। बच्चे की समायोजन-क्षमता एक वयस्क से अधिक होती है। उसे जिस ढंग के संस्कार और वातावरण से समायोजित करना चाहेंगे, वह अपने आपको वैसे ही ढाल लेगा। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे अपने नवजात शिशु को ऐसा माहौल दें जिससे उसका सही विकास हो और आगे चलकर वह एक सभ्य और संस्कारित व्यक्ति सिद्ध हो सके। 000 -- - - - - - - - - - बालक : जन्म, विकास और समायोजन - ----- - - - - - -- Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003900
Book TitleKaise kare Vyaktitva Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2003
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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