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________________ और पर्यावरण ही उसका सबसे निकटतम अंग है। आखिर जैसा परिवार होगा, बालक वैसा ही तो व्यवहार, भाषा और नियम-कायदों को धारण करेगा। चूंकि बालक की ग्रहण-शक्ति तीव्र होती है, इसलिए वह जिस घर-परिवार में रहता है, उसका सर्वाधिक सीधा असर उस पर पड़ता है। बालक के श्रेष्ठ निर्माण के लिए परिवार का श्रेष्ठ होना जरूरी है। एक बालक से पूछा गया कि तुम इतनी गाली-गलौच क्यों करते हो? आखिर तुमने ये गालियाँ कहाँ सीखीं? बालक का जवाब था-गाली तो मेरे माँ-बाप भी देते हैं। यानी बच्चे पर उसके अभिभावकों का पूरा असर पड़ता है। ऐसा ही एक प्रश्न बच्ची से पूछा गया-'बेटी, तुम सबके साथ इतनी विनम्रता, मधुरता और सम्मान के साथ पेश आती हो, आखिर इसका कारण क्या है?' बच्ची ने कहा, 'इसमें कोई नई बात नहीं है। मेरे घर के सारे सदस्य सबके साथ ऐसे ही पेश आते हैं।' बालक की विनम्रता, मधुरता और शिष्टता के पीछे घर-परिवार के वातावरण का पूरा-पूरा असर पड़ता है। परिवार की हर गतिविधि उसके संवेगों और मानसिक क्रियाओं को अनिवार्यत: प्रभावित करती है। परिवार का गलत संस्कार उसे मानसिक रोग और उन्माद से घेर सकता है। यदि कोई बालक बहुत ज्यादा भुलक्कड़ है तो इसका अर्थ यह हुआ कि या तो उसके शरीर का आन्तरिक विकास परिपूर्ण नहीं हुआ या फिर उसके स्वाभाविक संवेग, चिन्तन और अभिव्यक्ति को दमित किया गया है। फ्रायड, एडलर, बैच और जुंग के अनुसार तो बहुत-सी बीमारियों का कारण मानसिक ही होता है। आम शारीरिक रोग का प्रभाव दो-चार दिन का रहता है, पर मानसिक रोग बालक को या तो चिड़चिड़ा या झक्की बना देता है या फिर उसे अपराध-भावना से ग्रस्त कर देता है। अच्छा तो यह है कि बालक को डाँटने-फटकारने और पीटने की बजाए उसे प्रेम से समझाएँ और उसे अच्छा वातावरण दें। बालक की हर क्रिया वास्तव में हमारे व्यवहार की ही प्रतिक्रिया है। खेलकूद और मनोरंजन उसकी नैसर्गिक प्रवृत्ति है। परिवार के सदस्यों को चाहिए कि वे उसकी इस स्वाभाविक ----------------- व्यवहार और स्वभाव : व्यक्तित्व-विकास का पहला आधार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003900
Book TitleKaise kare Vyaktitva Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2003
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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