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________________ एक आकस्मिक परिवर्तन हो उठता है । इस अवस्था में बल और उत्साह भी काफी अधिक होता है तो तनाव और संघर्ष / विरोध की भी कमी नहीं होती। किशोरावस्था वास्तव में जीवन का उठता हुआ तूफान है। - बाल-मनोविज्ञान मनुष्य के उस बाल्यकाल पर ध्यान देता है जिससे जीवन की मूल भित्तियाँ जुड़ी हैं। बाल मनोविज्ञान का संबंध इस बात से बालक क्या है या कैसा है ? निश्चित तौर पर बाल मनोविज्ञान की वैज्ञानिक और व्यावहारिक आवश्यकता है। जीवन - विज्ञान इससे दो कदम और आगे रखता है। इसके उपयोग का उद्देश्य यह है कि बालक को कैसा होना चाहिए? बाल मनोविज्ञान से जीवन - विज्ञान का मार्ग वास्तव में विधायक विज्ञान से नियामक विज्ञान की ओर गतिशील होता है। हमें विधायक और नियामक दोनों विज्ञानों का बालक के व्यक्तित्व-विकास में उपयोग करना चाहिए। यदि हम बाल मनोविज्ञान को मनोविज्ञान के विराट् अर्थ के साथ समायोजित करें तो वही जीवन-विज्ञान बन जाएगा। जिस मनोविज्ञान में चेतना, मन और व्यवहार की समीक्षा की जाती है, वही जीवन - विज्ञान है । जीवन - विज्ञान वास्तव में आत्मा का विज्ञान है। मनोविज्ञान को साइकोलॉजी कहा जाता है । 'साइकि' का अर्थ आत्मा है और 'लोगस' का अर्थ विज्ञान है । इस प्रकार साइकि+लोगस अर्थात् आत्मा का विज्ञान ही साइकोलॉजी/ मनोविज्ञान है । - बाल मनोविज्ञान का मूल उद्देश्य बालक के अभियोजनात्मक व्यवहार की जाँच-पड़ताल करना है। उसे समझने के लिए हम उसे 'अनुभूति' और 'व्यवहार' कहेंगे। हमारी मानसिक क्रिया अनुभूति है और शारीरिक क्रिया व्यवहार है। संवेदना, साक्षात्कार, सीखना, चिन्तन करना ये सब अनुभूतिजन्य मानसिक क्रियाएँ हैं, जबकि चलना-फिरना, लिखनाबोलना आदि व्यवहारजन्य क्रियाएँ हैं । व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक व्यापारों का विज्ञान ही मनोविज्ञान है। व्यवहार और स्वभाव : व्यक्तित्व विकास का पहला आधार - Jain Education International For Personal & Private Use Only ३ www.jainelibrary.org
SR No.003900
Book TitleKaise kare Vyaktitva Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2003
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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