________________
मार्दव
प्रवाह
भयंकर से भयंकर
तीव्र से तीव्रतर धराशायी हो गये
मदभरे बड़े - बड़े वृक्ष
महासंघर्ष में। अस्तित्व बनाया रखा नदी के मध्य रही घास ने अपना
भीषण प्रवाह में भी
जीवन - संघर्ष में भी, पार हो गयी
नम्र घास निरापद रूप से
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org