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अपराजित
यौवन का तूफान उत्तेजना की आन्धी
भयंकर रूप में । मैं पथिक हूँ
लेकिन मुझे खतरा नहीं, दौड़ता नहीं
बढ़ता हूँ एक -एक पग
समझ - समझ कर
सम्हल' - सम्हल कर । बवण्डर की बिदाई के बाद
दौडू' | घूमू चाहे जहाँ, चाहूँ जैसे ।
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