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ज्योति दीप की ज्योति
आत्म - ज्योति का
अनुपम प्रतिबिम्ब है अलौकिक आत्म - ज्योति
प्रभा - पुञ्ज का परम प्रतीक है, सत्यं - शिवं - सुन्दरम्
के समीप है । दीप और आत्मा दोनों में प्रकाश है अद्भुत द्वन्द्व समास है बाह्य - आलम्बन तुच्छ है आत्म - उदय, आत्म - उद्धार निर्मल, निष्कलंक है।
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