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________________ मंथरा के साथ रहकर कोई राजरानी भी केकैयी हो जाती है । एक त्याग और बलिदान का आदर्श बन जाता है, तो दूसरा मात्र स्वार्थ पूर्ति का । जब हम वातावरण की बात कर रहे हैं, तो हमें ध्यान देना होगा कि हमारे घर का वातावरण कैसा है; विद्यालय और मित्र-मंडली का वातावरण कैसा है; जिस मोहल्ले में हम रहते हैं, उसका और समाज का वातावरण कैसा है; हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कैसी है, हमें इस बात पर गौर करना होगा । हमें इस बात पर गौर करना होगा कि हमारी शिक्षा-दीक्षा कैसी हुई; वह जीवन में कितनी आत्मसात् हुई; हमारी शिक्षा हमारे लिए रोजी-रोटी की आधार बनी या उसने हमें आनंदमय जीवन जीने की कला भी सिखाई ? किसी बेहतर शिक्षक और शिक्षण-संस्थान में अध्ययन कर हम अपनी और अपनी भावी पीढ़ी की स्थिति को सुदृढ़ और सकारात्मक बना सकते हैं। मैं अपने ही जीवन से जुड़ी हुई एक ऐसी घटना का जिक्र करूँगा, जिसमें एक शिक्षक ने मेरी जीवन-दृष्टि ही बदल डाली । आप बीती बात तब की है जब मैं नौवीं - दसवीं की पढ़ाई कर रहा था । संयोग की बात कि परीक्षा में मेरी सप्लीमेन्टरी आ गई । क्लास टीचर सभी छात्रों को उनके प्रमाण-पत्र दे रहे थे । जब मेरा नंबर आया, तो न जाने क्यों उन्होंने खास तौर से मेरी मार्कशीट पर नज़र डाली। वे चौंके और उन्होंने एक नज़र से मुझे देखा । मैं संदिग्ध हो उठा, कुछ भयभीत भी । उन्होंने मुझे मार्कशीट न दी । उन्होंने यह कहते हुए मार्कशीट अपने पास रख ली कि ज़रा रुको, मुझसे मिलकर जाना । I जब सभी सहपाठी अपनी-अपनी मार्कशीट लेकर क्लास से चले गये, तो पीछे केवल हम दो ही बचे - एक मैं और दूसरे टीचर । उन्होंने मुझसे बमुश्किल दो-चार पंक्तियाँ कही होंगी, लेकिन उनकी पंक्तियों ने मेरा नजरिया बदल दिया, मेरी दिशा बदल डाली । उन्होंने कहा— 'क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे सप्लीमेंटरी आई है ? चूँकि तुम्हारा बड़ा भाई मेरा अजीज़ मित्र है, इसलिए मैं तुम्हें कहना चाहता हूँ कि तुम्हारा भाई हमारे साथ इसलिए चाय-नाश्ता नहीं करता, क्योंकि वह अगर अपनी मौज-मस्ती में पैसा खर्च कर देगा, तो तुम शेष चार भाइयों की स्कूल की फीस कैसे जमा करवा पाएगा ? तुम्हारा जो भाई अपना मन और पेट मसोसकर भी तुम्हारी फीस जमा करवाता है, क्या तुम उसे इसके बदले में यह परिणाम देते जीवन-दृष्टि सकारात्मक बनाएँ Jain Education International For Personal & Private Use Only ८६ www.jainelibrary.org
SR No.003897
Book TitleLakshya Banaye Purusharth Jagaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2006
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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