________________
भक्त तो वही है जो रावण में भी राम की छवि निहार ले।
यह जगत ध्वनि और प्रतिध्वनि के नियम से चलता है। जैसे जंगल में जाकर आप 'हो' की आवाज करें तो सभी दिशाओं से उससे चार गुना 'हो' की ध्वनि लौटकर आएगी । ऐसे ही अगर अपने द्वारा औरों के प्रति प्रेम के गीतों को बुलंद करोगे तो तुम पर प्रेम की ही बौछारें होंगी। अगर दूसरों से कहोगे कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ तो यह जगत तुम पर चारों तरफ से नफरत के शोले बरसाना शुरू कर देगा। वहीं अगर तुम अपनी ओर से औरों के प्रति प्यार करने के भाव मुखरित करोगे तो ताज्जुब करोगे कि हर कोई तुमसे प्यार करने को लालायित नजर आएगा।
__ अगर कोई व्यक्ति आपको गाली-गलौच कर रहा है तो उसे बेवकूफ न समझें । दरअसल किसी के द्वारा मिलने वाली गालियाँ पूर्व में हमारी ओर से दी गई गालियों का वह प्रत्यावर्तन ही है । तुम अपनी ओर से जैसी सौगात दोगे, वैसी ही सौगात तुम बदले में पाओगे । पात्र बदल जाते हैं, निमित्त और चेहरे बदल जाते हैं मगर कुदरत हिसाब बकाया नहीं रखती, वह सूद समेत लौटाती है । अगर आज आपने गुलाबचंद को गाली दी है तो हो सकता है कि वह आपको गुलाबचंद के मुँह से गाली न निकलवाए, गुमानमल के द्वारा गाली लौटा दे । जैसा तुम बोओगे, वैसा ही काटने को मिलेगा। धर्मशास्त्रों में लिखे हुए कर्म के सिद्धान्त का इतना-सा ही रहस्य है। मूल्य है स्वयं की दृष्टि का
__ दुनिया वैसी नहीं दिखती, जैसा कि हम उसे देखना चाहते हैं । दुनिया हमेशा वैसी ही दिखाई देती है जैसे कि आप स्वयं होते हैं । एक बुद्धिमान व्यक्ति किसी गाँव के बाहर रहा करता था। उधर से गुजरने वाले राहगीर उस गाँव के बारे में उसी से सवाल-जवाब किया करते थे। ऐसे ही एक राहगीर उधर से गुजरा। उसने रुककर बुद्धिमान व्यक्ति से बातचीत करनी चाही । उसने प्रश्न किया'महानुभाव, क्या तुम मुझे यह बताना चाहोगे कि इस गाँव के लोग कैसे हैं? दरअसल मैं दूसरे गाँव में बसने की सोच रहा हूँ।'
तब बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछा-'मैं तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब दूँ उससे पहले मैं यह जानना चाहूँगा कि तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो उस गाँव के
प्रतिक्रियाओं से परहेज रखें
४२
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org