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________________ औरों का दिल जीतें मनुष्य के पास ऐसी कोई जादुई छड़ी नहीं है, जिसे हवा में लहराए और दुनिया की फ़िज़ा बदल जाए । उसके पास वे पंख भी नहीं हैं कि जिनके चलते वह आकाश में ऊँची छलांग लगा सके। हाँ, व्यक्ति के पास वे कदम जरूर हैं जिनके सहारे वह बड़े-से-बड़े पर्वतों को भी लाँघ ही सकता है । मनुष्य के कदम भले ही छोटे लगते हों, पर यदि वह निरन्तरता और सातत्य बनाये रखे तो आत्म-विश्वास से भरे ये छोट-छोटे कदम उन ऊँचाइयों को छू सकते हैं, जिनकी उसने कल्पना भी नहीं की हो। लक्ष्य अगर उन्नत हैं, दृष्टि अगर उच्च है तो ये वामन कदम ढाई डग में ही सारे ब्रह्माण्ड को नाप सकते हैं । विशाल नजर आने वाली नदी अपने उद्गम स्थल पर छोटी-सी धार भर होती है, एक ऐसी पतली धार कि जिसे कोई टिड्डा और पतंगा भी पार कर सकता । वही धार विराट् बनते-बनते किसी नील का, किसी गंगा का रूप ले लेती है । जिन्हें हम केवल बादल की छोटी-सी बूँदें कहते हैं, वे अगर विकराल रूप धारण कर लें, तो बाढ़ का रूप ले लेती हैं। किसे पता है कि यह बरगद का विशाल वृक्ष कभी नाखून पर रखे जा सकने वाले किसी बीज से जन्मा है । जिसे हम तीली कहते हैं, अगर वह आग का रूप धारण कर ले, तो वह बड़े-से-बड़े नगर को भी भस्मीभूत औरों का दिल जीतें Jain Education International For Personal & Private Use Only २८ www.jainelibrary.org
SR No.003897
Book TitleLakshya Banaye Purusharth Jagaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2006
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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