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पर उसकी सफाई आदि की व्यवस्था रखना आदमी की बेहतर जीवन-शैली का परिणाम हुआ करती है।
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मिट्टी और गोबर का आंगन भी आँखों को सुहा सकता है, बशर्ते वह साफ-स्वच्छ हो । ग्रेनाइट और मकराना का आंगन भी आँखों में गड़ सकता है यदि वह साफ - सुथरा न हो । हर इन्सान को चाहिए कि वह अपने आप को व्यवस्था देने के लिए इतना जागरूक रहे जितना कि कोई शेक्सपीयर अपनी कविता के लिए जागरूक रहा करते थे, जितना कि कोई रवीन्द्रनाथ टैगोर अपने गीत के लिए जागरूक रहा करते थे या कोई बीथोवन अपने संगीत एल्बम की रचना के लिए प्रयत्नशील रहा करते थे ।
व्यवस्थित जीवन को स्वीकारना मैं समझता हूँ कि सैद्धान्तिक जीवन जीने के लिए पहला सार्थक कदम है। आप व्यवस्थित जीएंगे, तो आपसे जुड़े हुए लोग भी व्यवस्थित होना सीखेंगे । हम ही अव्यवस्थित और लापरवाह होंगे, तो यह मानकर चलें कि आपके पास आलसियों की ही जमात इकट्ठी होगी । व्यवस्थित जीवन जीना सफल जीवन जीने के लिए पहला सार्थक कदम है।
देखता हूँ कि हर व्यक्ति व्यवस्था तो चाहता है, पर वह व्यवस्था औरों में देखना चाहता है । हर पति अपनी पत्नी को व्यवस्थित देखना चाहता है। हर पिता अपने पुत्र को व्यवस्थित देखना चाहता है व्यक्ति यदि सावधानी नहीं बरतता तो अपने खुद को व्यवस्थित करने में सावधानी नहीं बरतता ।
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जरा कल्पना करें कि व्यक्ति स्वयं के हाथ से रखी हुई वस्तु को यदि व्यवस्थित रखे तो वह अंधेरे में भी उसे खोज सकता है और यदि वही वस्तु बेतरतीब से रखी जाए तो उसे सूरज की रोशनी में भी नहीं खोजा जा सकता। व्यवस्थित रखी सुई अंधेरे में भी मिल जाती है पर यदि व्यवस्था न हो तो कई दफा ऊँट भी सूरज की रोशनी में नहीं दीख पाता।
व्यवस्थित करें स्वयं को
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