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व्यवस्थित करें स्वयं को
मेरे प्रिय आत्मन्, ___ जीवन एक व्यवस्था है, प्रकृति की एक व्यवस्था। जन्म भी व्यवस्था का एक चरण है और मृत्यु भी। हर संयोग के पीछे भी एक व्यवस्था काम कर रही है और हर वियोग के पीछे भी। हर खिलावट के पीछे भी एक व्यवस्था है और हर मुरझाने के पीछे भी। जीवन और जगत की सारी गतिविधियों के पीछे एक व्यवस्था काम कर रही है। यदि हममें से कोई भी व्यक्ति प्रकृति और उसकी व्यवस्था को समझने की कोशिश करे, तो वह अपने जीवन को भी एक व्यवस्था देने के लिए स्वतः प्रेरित और जागरूक हो जाएगा।
संसार में रोशनी बिखेरने के दो ही तरीके हुआ करते हैं, या तो व्यक्ति स्वयं किसी चिराग की तरह बन जाए और अपने आप को ज्योतिर्मय कर ले या फिर अपने आप को उस आईने की तरह बना ले जो दीपक की आभा को अपने में लेकर संसार को प्रतिबिम्बित
व्यवस्थित करें स्वयं को
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