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________________ चाहोगे तो क्या होगा? मान लीजिए कि यदि यहाँ कोई आदमी किसी को माला पहनाने के लिए खड़ा होता है तो दूसरा आदमी सोचता है कि बार-बार यही आदमी माला पहनाने के लिए क्यों खड़ा होता है? मुझे क्यों नहीं मिलती है यह माला। ताकि मैं भी किसी को इसे पहनाऊँ। मान हमेशा औरों को दीजिए उसे खुद लेने की कोशिश मत कीजिए। मैं तो कम-से-कम यही अर्ज करूँगा कि हमेशा औरों को मान दो। अगर औरों ने तुम्हें मान दिया तो यह औरों का बड़प्पन है, पर तुम्हारा बड़प्पन तब होगा जब तुम औरों को मान दोगे। महाभारत के राजसूय यज्ञ में कृष्ण ने ब्राह्मणों और ऋषियों के चरण धोने का दायित्व अपने पर लिया था। क्या हम इससे समझ सकते हैं कि जीवन में सरलता और विनम्रता का क्या मूल्य है? शिशुपाल की निन्यानवें गलतियों को कृष्ण माफ कर सकते हैं। आप भी क्षमा को हमेशा अपने जीवन के साथ जोड़ें। आप भी किसी की नौ गलतियाँ तो माफ कर ही सकते है ना? गलतियाँ होंगी, पत्नी के द्वारा भी होंगी, पति के द्वारा भी होंगी, किसी के द्वारा कोई भी गलती हो सकती है। आप माफ कर सकें इतना सामर्थ्य तो हर संजीदा व्यक्ति के भीतर होना ही चाहिए। जो अपने गुस्से को, अपनी उत्तेजना को अपने नियंत्रण में रखा करते हैं स्वर्ग उनके लिए हुआ करता है। और यह स्वर्ग उनके लिए भी हुआ करता है जो गलती करने वालों को माफ किया करते हैं। भगवान उन्हीं से तो प्यार करते हैं जो दयालु और क्षमाशील हुआ करते हैं। भगवान से कुछ माँगो तो यह कि भगवान अगर तू कुछ देता है तो हमेशा हमें वह सद्बुद्धि देना जिससे कि हम जीवन का मूल्य समझते रहें और जीवन को इस तरीके से जीएँ कि वह प्रभु का प्रसाद और वरदान बन सके। सफल और सौम्य जीवन के लिए मूल्यवान बात यह है कि हम ऐसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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