SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुम्हीं तो कहते हो कि अनगिनत पुण्यों के कारण ही तुम्हें यह मनुष्य जीवन मिला है, तो तुम पुण्यमय पुष्प का सार्थक उपयोग क्यों नहीं करते? अपने इस बेशकीमती जीवन को और मधुर बनाकर और अधिक सुंदर और स्वस्थ बनाकर इसका उपयोग किया जा सकता है। मेरे लिए केवल मेरे जीवन का ही नहीं बल्कि आपके जीवन का भी मूल्य है। मैं आपसे इसी कारण कहता हूँ कि हर इंसान का जीवन मूल्यवान है। अस्सी वर्ष की महिला का जीवन भी मूल्यवान है और बीस वर्ष के युवक का जीवन भी मूल्यवान है। मैं मूल्यवान समझू, ऐसा करके मेरा आपके प्रति रवैया और भी अधिक अच्छा बन जाएगा, पर आप अपने जीवन को मूल्यवान समझें तो आपके जीवन जीने के तौर-तरीके ही अलग हो जाएंगे। हम जीवन में जीने की कला हासिल करें। जीवन में मिलने वाली किसी भी कामयाबी के पीछे आखिर आदमी की सोच, आदमी के जीवन जीने की शैली, आदमी के तौर-तरीके ही आधार बना करते हैं। अगर कोई आदमी आपसे आगे बढ़ा हुआ है तो उससे ईर्ष्या न करें। यह सोचें कि जरूर उसके काम करने के तरीके ऐसे होंगे कि जिनके चलते लोग भी उसे चाहते होंगे। तुम अगर अपने तौर-तरीकों को और अच्छा बना सको तो आने वाला कल वह होगा कि सारी दुनिया तुम्हारी तरफ होगी। दोष किसी और को ही नहीं अपितु किस्मत को भी नहीं देना चाहिए। किस्मत उसी का साथ दिया करती है जो अपने तौर-तरीकों को बेहतर बनाने के प्रति सचेष्ट रहा करते हैं। अगर हम अपनी कार्यशैली को ही अपनी किस्मत बना लें तो आने वाला कल हमारा होगा। हम अपने कल के भाग्य-विधाता स्वयं बनेंगे। हम अपने जीवन को देखें। अपने जीवन को जीवन के मूल्य और मूल्यों का प्रबन्धन दें। बेहतर तो यह होगा हर आदमी अपने हर नये दिन की शुरूआत बहुत स्वस्थ मन के साथ करे। हर आज का दिन परमात्मा और प्रकृति की अनुपम सौगात के रूप में हमें मिलता कैसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy