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________________ सकता हूँ?' 'क्यों भाई तुममें क्या खासियत है?' उसने कहा, 'मैं तो अमीरजादा हूँ। भला मैं तुम्हें पानी कैसे पिलाऊँ?' दूसरे ने कहा, 'जब तुम नहीं निकाल सकते तो मैं कैसे निकाल कर पिलाऊँ क्योंकि मैं तुमसे भी बड़ा हूँ। मैं तो नवाबजादा हूँ।' दोनों बैठ गए किसी पानी पिलाने वाले के इंतजार में। थोड़ी देर में एक और भूला-भटका राहगीर वहाँ पानी की तलाश में पहुंचा। उसने भी आकर कहा, 'भाई, थोड़ा पानी पिला दो ना।' उन्होंने कहा, 'भई, हम तो खुद बैठे हैं। तुम पानी निकालो हमको भी पिला दो, तुम भी पी लो।' 'क्यों भई तुम्हारी क्या खासियत है?' एक ने कहा, 'मैं अमीरज़ादा हूँ' दूसरे ने कहा, 'मैं नवाबजादा हूँ।' तीसरे ने कहा, 'भई, तब तो मैं भी नहीं पिला सकता क्योंकि मैं शाहज़ादा हूँ।' तीनों ही ज़ादे बैठ गए किसी चौथे की इंतजारी में। ___ इतने में एक आदमी और आया। वह भी प्यासा था। उसने बाल्टी उठाई, कुएँ में डाली और जैसे ही पानी निकालने लगा, तीनों बोले, 'भाई, हम भी प्यासे हैं। हमें भी पानी पिला देना।' उसने कहा, 'ताज्जुब की बात है! तुम तीन लोग हो और प्यासे मर रहे हो। क्या अपने आप पानी निकाल कर नहीं पी सकते थे?।' तीनों ने कहा, 'तुम्हीं बताओ हम कैसे निकाल कर पीते? एक अमीरजादा, दूसरा नवाबजादा और तीसरा शाहजादा! फिर कैसे पानी निकाल कर पीते?' उस व्यक्ति ने कहा, 'मेरे हाथ का पानी तुम्हारे काम का नहीं है।' 'क्यों, क्या बात है?' वह बोला, 'मैं भी एक जादा हूँ। इसलिए मेरा पानी तुम्हारे काम नहीं आएगा। वे बोले, 'तुम कौन से जादे हो?' 'मैं हरामजादा हूँ'। तीनों ने कहा, “भई अमीरजादा तो सुना है, नवाबजादा भी सुना है, शाहजादा भी सुना है, पर हरामजादा पहली बार सुना है। यह कौन सी कौम पैदा हो गई?' उसने कहा, 'जहाँ तीनों जादे निठल्ले बन जाते है, वहाँ चौथा जादा पैदा होकर आता है। और वह कौम होती है हरामजादे की।' तुम कर्म करो, मेहनत करो और मेहनत को भी इस भाव से करो कैसे जिएँ मधुर जीवन १०० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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