________________
में दो दीए न जल जाएँ ।
संभव है आप काफी संभ्रांत और प्रतिष्ठित व्यक्ति हों, पर कहीं ऐसा तो नहीं कि मानसिक अवसाद ने आपको घेर लिया हो ? अपने मानसिक तनाव को मिटाने के लिए आपको किसी दवा-दारू का उपयोग करना पड़ रहा हो या रात को सोने के लिए नींद की गोली खानी पड़ रही हो ? अगर ऐसा है, तो कृपया अपनी स्थिति का जायजा लें, अपनी उन खामियों पर ध्यान दें, जिन्होंने आपको और आपके जीवन को कष्टकर बना दिया है । कुछ अपने साथ ऐसे प्रयोग करें कि जिनके द्वारा आप अपने अंतर-मन के रोगों को मिटा सकें | स्वस्थ जीवन के लिए व्यक्ति की मानसिकता का स्वस्थ होना जरूरी है । जीवन, जगत और प्रकृति के नियमों को समझकर व्यक्ति अपने मन की हर पेचीदगी से बच सकता है और इस तरह शांत, मुक्त, आनंदित जीवन का स्वामी बन सकता है ।
1
हर कार्य हो उल्लसित मन से
बोझिल मन से किया गया काम और जिया गया जीवन भला क्या काम का ! सुखी जीवन का स्वामी तो वही है जो अपने चित्त में किसी तरह का बोझ नहीं रखता; शांत, निश्चित और हर हाल में मस्त रहता है । जिसके जीवन में तनाव और घुटन है, उसकी स्थिति उस सरोवर की तरह होती है, जिसका पानी सूख चला हो । उसके मनोमस्तिष्क की वही स्थिति होती है, जैसे पानी के सूख जाने पर मिट्टी की । कभी आपने ध्यान दिया हो, ऐसे किसी तालाब पर जिसमें पानी नहीं है और मिट्टी की सतह पर दरारें पड़ी हों । तनावग्रस्त व्यक्ति के मनो-मस्तिष्क की भी यही स्थिति होती है ।
हम अपने दैनंदनीय जीवन में क्या करते हैं, इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम किस मन और किस भाव से करते हैं । बेमन से किया गया कार्य आदमी के लिए भारभूत हो जाता है, वहीं उल्लसित मन से किया गया कार्य सुख का सेतु बन जाता है । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कार्य छोटा है या बड़ा, फर्क इससे पड़ता है कि कार्य करने वालों का मन छोटा है या बड़ा । बड़े दिल से किये गये छोटे कार्य भी आदर्श हो जाया करते हैं। छोटे मन से किये गये बड़े कार्य भी तुच्छ और व्यर्थ साबित हो जाते
1
क्या हम बुद्धि के आईने में यह देखना पसंद करेंगे कि हमारे जीवन के कार्य और कर्त्तव्य क्या हैं और हम जो कार्य करने वाले हैं, का मन कैसा है ? हम अपने जीवन के
मन की धरा रहे उर्वर
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
६५
www.jainelibrary.org