________________
उपयोग करते हुए उन्हें भी पार कर जाते हैं । तुम यदि अपने दृढ़ आत्मविश्वास को लेकर जीवन के मैदान पर उतर जाओ, तो दुनिया की ऐसी कौन-सी ताकत है, जो तुम्हें सफल और विजयी होने से रोक सके ! गीता में भगवान ने मनुष्य के लिए पहला संदेश ही कर्मयोग का दिया, तुम कड़ी मेहनत करो। आज जो तुम्हें खंडप्रस्थ लग रहा है, तुम्हारी मेहनत जरूर रंग लाएगी और खंडप्रस्थ को इंद्रप्रस्थ में तब्दील करेगी । तुम अब तक सफल इसलिए नहीं हए हो कि तुमने अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केवल अपनी पचीस प्रतिशत शक्ति और योग्यता का उपयोग किया है, जिस दिन तुम सौ की सौ प्रतिशत क्षमता और योग्यता का उपयोग कर लोगे, उसी दिन तुम सफलता के रास्ते के मील के पत्थर हो जाओगे।
जैसे एक विद्यार्थी निरन्तर कुछ-न-कुछ सीखते रहना चाहता है, जीवन के विद्यालय के तुम भी एक विद्यार्थी बनो। पूर्व में हई अपनी गलतियों से शिक्षा लो और नये वर्ष की नई परीक्षा में सौ फीसदी सफल होने के लिए सन्नद्ध हो जाओ। मेहनत किये बगैर तो माँ भी रोटी नहीं डालती । सफलता के लिए मेहनत तो करनी ही होगी।
आखिर दुनिया में कोई भी चीज मुफ्त में नहीं मिलती । किसी जुए या लॉटरी के चक्कर में पड़कर रातो-रात धनवान होने का ख्वाब देखने वाले आखिर सड़क पर ही आ जाया करते हैं । सफलताएँ उन्हीं की बरकरार रहती हैं, जिनके लिए सफलता संयोग नहीं, वरन् उनके मूलभूत सिद्धान्तों और कठिन परिश्रम का परिणाम होती है।
तुम अपने हाथों में खींची भाग्य-रेखाओं को टटोलते रहने की बजाय किसी कठिन परिश्रम और संघर्ष के लिए अपने हाथों का उपयोग करो । परिश्रम ही मनुष्य के लिए वह ईश्वरीय शक्ति है, जो उसकी भाग्य-रेखाओं को उसके लिए सौभाग्य में बदल सकती है, उसे सफलता का सुकून दे सकती है । आओ, हम अपने लक्ष्य के प्रति फिर से संकल्पशील हों और आँखों में सफलता का नूर लिये फिर से प्रयत्नशील हों।
४२ Jain Educationa International
ऐसे जिएँ
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org