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________________ सफलता प्राप्त करने का दूसरा सोपान है : तुम अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करो और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए सकारात्मक योजना तैयार करो। तुम अपने लक्ष्य को हासिल किये बगैर तब तक चैन मत लो, जब तक तुममें अन्तिम साँस है । अपने लक्ष्य को अर्जित करने के लिए तुम्हें कड़ी-से-कड़ी मेहनत करनी पड़े, तो करने से नहीं चूकना चाहिए । आखिर किसी भी विजेता का प्रदर्शन कुछ ही घड़ियों का होता है, लेकिन यह तुम भली-भांति जानते हो कि उसके इस प्रदर्शन की सफलता में उसका कितना खून-पानी बहा होगा। ऐसा नहीं कि एक सफल खिलाड़ी कभी असफल न हुआ होगा, किन्तु अगर अर्जुन की आँखों में एकमात्र लक्ष्य ही बसा हुआ है, तो वह लक्ष्य-भेदन जरूर करेगा। तुम लक्ष्य के प्रति निष्ठाशील हो, तो असफलताओं से भय मत खाओ। असफलता स्वयं सफलता का रास्ता दिखाती है। ___ हर सफलता के पीछे असफलताओं की एक बड़ी कहानी छिपी होती है । मोहम्मद गोरी ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर दो-चार नहीं, पूरे सोलह आक्रमण किये मगर हर बार उसे मुँह की खानी पड़ी । आखिर हालत यह हो गई कि उसे अपनी जान बचाने के लिए किसी गुफा में शरण लेनी पड़ी। वहीं उसे सफलता का शास्त्र पढ़ने को मिला । उसने देखा कि एक मकड़ी अपने घर तक पहुँचने की कोशिश कर रही है। वह एक-दो-चार-दस बार चढ़ी, लेकिन हर बार उसका पाँव फिसल जाता, वह जमीन पर लुढ़क आती । मोहम्मद गोरी मकड़ी के इस अदम्य दुःसाहस को देखता रहा। जब मकड़ी सोलहवीं और सत्रहवीं बार फिर चढ़ने की कोशिश करने लगी, तो एक दफा तो गोरी को लगा कि वह इस नासमझ मकड़ी को कैसे समझाए कि वह व्यर्थ में क्यों मेहनत कर रही है, पर वह यह देखकर आत्मविश्वास से भर उठा कि मकड़ी आखिर अपने घर तक पहुँचने में सफल हो गई । एक हारा हुआ सम्राट पुनः विजय के विश्वास से भर उठा और कहते हैं कि मोहम्मद गोरी ने अपने सत्रहवें युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया। सफलता के रास्ते पर चलते जो लोग विफल हो जाया करते हैं, क्या वे मकड़ी और मोहम्मद गोरी से प्रेरणा लेंगे? क्षमता-योग्यता का पूरा उपयोग हो सफलता का तीसरा सूत्र यह है कि हम निरंतर श्रम और संघर्ष करें । श्रम से जी चुराने वाले सफलताओं को अर्जित नहीं किया करते हैं । सौभाग्यशाली वही हैं, जो भाग्य के भुलावे में न आकर आत्मविश्वास के साथ कठिन परिश्रम करते हैं। वे रास्ते में आने वाली चट्टानों की परवाह किये बगैर अपनी शक्ति, क्षमता और योग्यता का कोशिशों में छिपी कामयाबियाँ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003895
Book TitleAise Jiye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2001
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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