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तुम उठने को राजी हो, तो समय तुम्हारा सहयोग करने को तैयार है । समय की एक ही तो संप्रेरणा है-चरैवेति-चरैवेति । आज का नया सवेरा कितने प्यार से हमें कह रहा है—फिर से सजाएँ हम अपने सवेरे को, जीवन और जगत को। इस संकल्प के साथ कि शुभ करेंगे आज, अशुभ करेंगे कल । 'शुभ' को हम सदा करते जाएँगे; और अशुभ को कल पर टालते जाएँगे, कल पर, और किसी अगले दिन पर ।
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ऐसे जिएँ
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