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की जीवन्तता है। फिर साधना की उपलब्धि क्या, मुक्ति की पहचान क्या, निर्वाण का अर्थ क्या। सांसारिक प्रवृत्तियों में रत व्यक्ति की चेतना का दीपक धुएं से भरा रहता है और निर्वाण को उपलब्ध व्यक्ति की चेतना शुद्ध चेतना रह जाती है। निर्वाण का अर्थ ही है जिसकी चेतना वाण अर्थात् वासना से मुक्त हो गई। हमने कामदेव को वाण की संज्ञा दी है। क्यों? क्योंकि वह अपने बाणों से मनुष्य को बांध कर रखता है। काम से मुक्त होना निर्वाण में प्रवेश करना है।
मनुष्य में बीज के समान अपार क्षमताएँ, अपार संभावनाएँ हैं। बीज से बाहर की ओर बरगद प्रकट हो सकता है, लेकिन मनुष्य अपने बीज से क्या प्रगट करता है। बीज संभावनायुक्त तो है, लेकिन अपने भीतर नहीं झांक सकता और यह मनुष्य की ही क्षमता है कि वह अपने भीतर देख सकता है। यह भीतर देखना ही ध्यान की ओर उन्मुख होना है। अपनी संभावनाओं को जाग्रत करना बीज से बरगद हो जाना है। हमारी सारी शिक्षा और सभ्यता हमें दूसरों के बारे में जानकारी देती है, लेकिन स्वयं को जाने बिना शिक्षा अधूरी है। जिससे स्वयं की अन्तर्दृष्टि खुले, वही शिक्षा सार्थक है। स्वयं को जानने का उपाय ध्यान है। ध्यान जीवन को खिलावट और पूर्णता प्रदान करता है। हमारी चेतना में परम तत्त्व ठीक उसी तरह समाया हुआ है जैसे बीज में वृक्ष समाहित है। केवल उचित जमीन, खाद, पानी, हवा और सूर्य-किरणों के संयोग से बीज का वृक्ष अनावृत्त होता है। हमारा परम चैतन्य भी ध्यान की भावभूमि में प्रकट होता है।
लोग मुझसे पूछते हैं कि चेतना या आत्मा शरीर में कहाँ स्थित है ? चींटी की आत्मा में और हाथी की आत्मा में क्या फर्क है ? चेतना वास्तव में शरीर व्यापी है। उसका विस्तार पूरे शरीर में होता है। चींटी की चेतना उसके शरीर जितनी और हाथी की चेतना उसके शरीर जितनी। मनुष्य में भी चेतना पूरे शरीर में व्याप्त रहती है, तभी तो पाँव की अंगुली में पीड़ा होने पर उसका अहसास भी उतना ही तीव्र होता है जितना हृदय में या मस्तक में पीड़ा होने पर। ऐसे समझिए, एक दीपक जल रहा है, उस पर अगर गिलास ढक दी जाए तो प्रकाश कहाँ तक फैला, गिलास हटाकर लोटा ढंक दें तो प्रकाश कहाँ तक जाएगा, लोटे की जगह बाल्टी ढंकने पर प्रकाश का विस्तार कितना होगा, बाल्टी की जगह ड्रम रखने पर प्रकाश ड्रम तक फैल जाएगा और ड्रम के हटा देने पर पूरा कमरा ही प्रकाश से भर जाएगा। कमरे की दीवारें हटा देने पर प्रकाश का फैलाव और अधिक हो जाएगा। यह न समझना कि दीपक का प्रकाश चार-छ: फीट तक ही जा रहा है, जितनी दूर आपको दीपक दिखाई
64 : : महागुहा की चेतना
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