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शैली में इस पुस्तक में लेखांकन हुआ है। भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ योगअपनाएँ, ज़िंदगी बनाएँ आंतरिक समृद्धि व शांति को उपलब्ध करके ही व्यक्ति जीवन को वरदान
इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने योग को जीवन की समस्याओं के बना सकता है जिसमें ध्यान की भूमिका सर्वांगीण है। ध्यान जैसे जटिल
समाधान के आधार-स्तंभ के रूप में प्रस्तुत किया है। योग क्या है? विषय को सहज-सरल शैली में व्यक्ति से रूबरू करवाने में यह पुस्तक
इसकी आवश्यकता क्यों है? इसके चमत्कार कैसे होते हैं? इत्यादि अद्भुत अनमोल आईने का काम करती है।
प्रश्नों का समाधान इस पुस्तक में बेहतर ढंग से हुआ है। उन्होंने योग ध्यान का विज्ञान
को बोध के साथ जोड़ा है। महर्षि पतंजलि द्वारा दिए गए योग के इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने ध्यान के गूढ रहस्यों पर विस्तृत अष्टांग मार्गों की इस पुस्तक में वर्तमान संदर्भो में व्याख्या हुई है। प्रकाश डाला है। पुस्तक में ध्यान की व्यक्ति से लेकर विश्व तक की वर्तमान में सबसे कठिन समझे जाने वाले ध्यान को भी यहाँ सरल आवश्यकता व उपयोगिता का सरल शैली में विवेचन किया गया है। स्वरूप में समझाया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में दार्शनिक गुरु चन्द्रप्रभ ने ध्यान जैसे नीरस तत्त्व को योग जीवन की अनिवार्यता है। हमें सुखी, सफल एवं मधुर जीवन सरसता के साथ प्रस्तुत किया है। ध्यान जिज्ञासुओं के लिए इससे सरस जीने के लिए योग को अवश्य आत्मसात् करना चाहिए। इस पुस्तक से और सरल पुस्तक शायद ही हो सकती है।
व्यक्ति योग को सरल अर्थों में सरलता से समझ सकता है। श्री चन्द्रप्रभ योगमय जीवन जिएँ
द्वारा योगसूत्रों पर की गई व्याख्याएँ अदभुत हैं जो उनकी साधना, विद्वता की
गहराई को प्रकट करती हैं। अष्टांग योग से जुड़ी समस्त जानकारियाँ प्राप्त इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने योग के विविध आयामों की चर्चा की ।
करने के लिए यह पुस्तकसौ प्रतिशत खरी उतरती है। है। यहाँ योग का अभिप्राय खेल, योगासन या प्राणायाम से नहीं है।
संबोधिसाधना का रहस्य उन्होंने योग के अंतर्गत कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग और ध्यान योग की व्याख्या की है। किस व्यक्ति को कौनसे योग से जुड़ना चाहिए,
इस पुस्तक में जोधपुर में आयोजित संबोधि साधना शिविर के इसका मार्गदर्शन भी इस पुस्तक में दिया गया है। योग और जीवन, योग
दौरान दिए गए प्रवचनों का संकलन है। श्री चन्द्रप्रभ ने चिंता, तनाव, और प्रार्थना, योग और वीतरागता, योग और समाधि इन सबका परस्पर
अशांति से घिरी दुनिया को शांति और आनंद भरी जिंदगी देने के लिए अंतर्संबंध भी सूक्ष्म रूप से इस पुस्तक में समझाया गया है। श्री चन्द्रप्रभ
वर्तमान जीवन सापेक्ष संबोधि साधना' का प्रवर्तन किया है। यह तनयोग के संदर्भ में विराट नज़रिया रखते हैं। उन्होंने योग को बहुआयामी
मन-जीवन को ऊर्जा, उत्साह एवं आनंद से भरने वाली पद्धति है। श्री रूपों में प्रस्तुत कर योगदर्शन को विस्तार दिया है। शरीर तक सीमित
चन्द्रप्रभ ने संबोधि साधना को स्वयं की चिकित्सा करने,मन को अपने रहने वाला योग जीवन से कैसे जड़ सकता है और जीवन में क्या
अनुरूप ढालने वाली विधि बताई है। उन्होंने संबोधि साधना को
बिखरी हुई शक्तियों के एकीकरण कर उसका सार्थक उपयोग करने चमत्कार घटित कर सकता है, इससे जुड़ी यह पुस्तक वर्तमान में योग
का महामार्ग बताया है। इस पुस्तक में संबोधि साधना का व्यावहारिक के प्रति रुचि रखने वालों के लिए अनुपम उपहार है।
एवं सैद्धांतिक मार्गदर्शन दिया गया है। इसमें संबोधि ध्यान साधना की नजन्म,नमृत्यु
पाँच विधियों का भी जिक्र है। इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने अष्टावक्र गीता के सूत्रों पर व्यक्ति जीवन में बोध एवं होश को आत्मसात कर स्वयं का आध्यात्मिक एवं मार्मिक जीवन-संदेश दिए हैं। वे अष्टावक्र गीता को कायाकल्प कर सकता है। श्री चन्द्रप्रभ के द्वारा अंधकार से प्रकाश की ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के बीच हुए महज संवाद नहीं कहते, ओर बढ़ने का दिया गया सरल मार्ग बेहद उपयोगी है। उन्होंने संबोधि वरन् आध्यात्मिक सत्यों से जुड़ा हुआ शास्त्र कहते हैं। उन्होंने इन सूत्रों साधना का प्रवर्तन करके विश्व-सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। के माध्यम से व्यक्ति को भीतर के तीर्थ की यात्रा करवाई और बंधन की जीवन को तेजोमय बनाने के लिए यह पुस्तक एवं इसमें दिए गए प्रयोग काराओं से रूबरू करवाते हुए उनसे मुक्त होने का सरल मार्ग बताया कल्याण मित्र की तरह हैं। है। वे मोक्ष का मतलब न जन्म न मृत्यु, न पुण्य न पाप, न सुख न दुःख आध्यात्मिक विकास बताते हैं। यह पुस्तक आध्यात्मिक सच्चाइयों से मुलाकात करवाने
यह पुस्तक मनुष्य में विद्यमान मनोविकारों से छुटकारा दिलाकर वाली बेहतरीन कुंजी है।
उसके अंतर्मन को शांति,शक्ति एवं सौंदर्य प्रदान करती है। श्री चन्द्रप्रभ व्यक्ति अभी बाहर से ही आजाद हुआ है, भीतर से आजाद होने के आत्मविकास को विश्व के सफल एवं महान व्यक्तियों की शक्ति का लिए उसे यह युद्ध और लड़ना है। यह पुस्तक उसी युद्ध की ओर संकेत स्रोत मानते हैं। पुस्तक में उन्होंने अध्यात्म के गूढ़ विषयों को बड़ी ही करती है। स्वयं से मुलाकात करवाने के लिए यह पुस्तक कटिबद्ध है। सरलता से प्रतिपादित किया है। यह पुस्तक उनके द्वारा मसूरी के भीतर से समृद्ध होने के लिए इस पुस्तक में बेहतरीन मार्ग सुझाए गए प्राकृतिक वातावरण में दिये गए प्रवचनों का अमृत संकलन है जो कि हैं। श्री चन्द्रप्रभ ने इन सूत्रों पर प्रज्ञा भरी दृष्टि डालकर फिर से साधकों के लिए कुंजी की तरह है एवं हर जिज्ञासु को गहरे तक जीवनोपयोगी बना दिया है। देह से उपरत होने, संसार में समाधि के प्रभावित करती है। यह पुस्तक अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं से जुडी फूल खिलाने, भोग में योग को जन्म देने व मन की मुक्ति के मालिक गहरी पुस्तक है, जिसे साधक व्यक्ति ही समझ सकता है। अगर व्यक्ति बनने के लिए यह पुस्तक अद्भुत, अनूठी एवं दिव्यमंत्र की तरह है। साधना करते हुए इस पुस्तक का अनुशीलन करे तो जीवन में
आध्यात्मिक कायाकल्प हो सकता है। 48> संबोधि टाइम्स
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