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________________ का जो मार्ग बताया है उसमें वर्तमान जीवन को सार्थक दिशा देने वाले रूढ़ परम्पराओं का भी खण्डन किया है। वे व्यक्ति को संसार में रहते मंत्र हैं। जहाँ एक ओर उन्होंने धर्म की युगीन संदर्भो में प्रस्तुति दी है हुए भी समाधि का रसास्वादन करने की सीख देते हैं। उन्होंने संसार वहीं धर्म के रूढ़पंथी स्वरूप को हिलाने की कोशिश की है। और समाधि के रहस्यों को बखूबी तरीकों से उजागर करने की श्री चन्द्रप्रभ ने इस पस्तक के माध्यम से अहिंसा, सत्य, अचोर्य, कोशिश की है। निस्संदेह संसार के सत्यबोध से लेकर समाधि तक के शील और व्यसन-मुक्ति जैसे सिद्धांतों की वर्तमान विश्व को कितनी सफर को पार करने के लिए यह पुस्तक बेहतरीन मार्ग देती है। जरूरत है और इन्हें किस रूप में जीवन में आत्मसात किया जा सकता अप्प दीवो भव है, इस पर सुंदर विश्लेषण प्रस्तुत किया है। श्री चन्द्रप्रभ ने इस पुस्तक इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने जीवन-जगत को अंतर्दृष्टि से में धर्म को जो सरल, व्यावहारिक और युगानुरूप बनाने की जो देखकर कुछ अनुभव की बूंदें हमारे सामने बिखेरी हैं । अप्प दीवो भव क्रांतिकारी बातें लिखी हैं वह हर समाज के लिए चिंतनीय है। गुरुतत्त्व में श्री चन्द्रप्रभ के विचारों का संकलन है। असे ह तक क्रमशः लगभग का विवेचन, मंदिरों की आवश्यकता, प्रभु-प्रेम और ध्यान की 616 शब्दों के जीवन सापेक्ष अर्थ देकर श्री चन्द्रप्रभ ने आत्म-क्रांति उपयोगिता पर श्री चन्द्रप्रभ ने जो प्रकाश डाला है वह इंसान को करने का पुरुषार्थ किया है। श्री चन्द्रप्रभ ने इस पुस्तक में शब्दों की आंतरिक समृद्धि प्रदान करने में बेहद कारगर है। वास्तव में, यह भावपूर्ण व्याख्या करके गागर में सागर भर दिया है। व्यक्ति अपनी प्रज्ञा पुस्तक वर्तमान दुनिया को आंतरिक रूप से समृद्ध और सुखी बनाने में से शब्दों के अर्थ को कितनी ऊँचाइयाँ दे सकते हैं, यह इस पुस्तक से एवं अंधेरे में भटकते मुसाफिरों के लिए प्रकाश स्तंभ की तरह है। सिद्ध होता है। अप्प दीवो भव' पुस्तक हमारे भीतर के तमस् को ध्यान-योग एवं अध्यात्मपरक साहित्य हटाकर प्रकाश का उदय करने में दीपक का काम करती है। (1) मैं तो तेरे पास में (13) ध्यान :साधना और सिद्धि ध्यान : क्या और कैसे (2) संसार और समाधि (14) ध्यान का विज्ञान - इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने मानसिक शांति एवं अशांति के (3) अप्प दीवो भव (15) योगमय जीवन जिएँ कारणों को गिनाया है। उन्होंने मन के स्वरूप पर बहुत ही सुंदर प्रकाश (4) ध्यान : क्या और कैसे (16) न जन्म न मृत्यु डाला है। उन्होंने जीवन के समग्र विकास के लिए सरल सूत्र भी बताए (5) ध्यान की जीवंत प्रक्रिया (17) योग अपनाएँ जिंदगी बनाएँ हैं। वे ध्यान को शांति, सिद्धि एवं मुक्ति के लिए आधार रूप में प्रस्तुत करते हैं। ध्यान से जुड़ी समस्त जानकारियाँ बहुत ही सरल रूप में इस (6) चेतना का विकास (18) संबोधि साधना का रहस्य पुस्तक में व्याख्यायित हैं। वास्तव में मन एवं अंतर्मन को सरलता से (7)7 दिन में कीजिए स्वयं का(19) आध्यात्मिक विकास समझने के लिए इस पुस्तक में बेहतरीन मार्गदर्शन दिया गया है। वे कायाकल्प (20) ध्यान योग क्रमशः जीवन के विभिन्न पहलुओं का चित्र खींचते हुए हमें ध्यान की (8) बनना है तो बनो अरिहंत (21) अंतर्यात्रा ओर क़दम बढ़ाने की प्रेरणा देते हैं। ध्यान एवं ध्यान से जुड़े विभिन्न (9) साक्षी की आँख (22) अपने आप से पूछिए : तत्त्वों को समझने के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। (10) मुक्ति का मनोविज्ञान मैं कौन हूँ ध्यान की जीवंत प्रक्रिया (11) संबोधि (23) द योग ध्यान को सीखने के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी है। ध्यान से (12) प्रेम की झील में ध्यान के फूल (24) द विपश्यना। जुड़े विविध साधकों के अनुभव सुनकर ध्यान करने की सहज प्रेरणा उपर्युक्त साहित्य का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है - मिल जाती है। जो लोग ध्यानाभ्यास में रुचि रखते हैं और ध्यान से जुड़े मैं तो तेरे पास में विषयों पर संक्षिप्त में मार्गदर्शन चाहते हैं उनके लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने साधना से जुड़े विविध तत्त्वों पर बेहतरीन व स्वतंत्र मार्गदर्शन प्रदान किया है। उन्होंने जीवन, श्वास, चेतना का विकास संसार, मोक्ष, प्रार्थना, साधुता, साधक, ध्यान, समाधि जैसे विविध इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने परमात्मा का नाम लेने या पूजा करने विषयों पर व्याख्या करते हुए इन्हें साधनोपयोगी बनाने का मार्ग प्रशस्त की बजाय भीतर में परमात्म तत्त्व को घटित करने का मार्गदर्शन दिया किया है। इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने कठिन विषयों को सरलता से है। यह पुस्तक व्यक्ति के व्यक्तित्व को पराकाष्ठा तक पहुँचाने का समझाकर गागर में सागर भर दिया है। साधना की सहज यात्रा के लिए मार्ग और उस मार्ग में आने वाली समस्याओं का सरल समाधान प्रस्तुत यह पुस्तक बेशक़ीमती हीरा है जो दिखने में छोटा है, पर क़ीमत में करती है। जीवन को अर्थ देना और अमृततुल्य बनाना इस पुस्तक की हज़ार गुना है। मूलभूत प्रेरणा है। पुस्तक में जीवन में छिपे अमृत को उजागर करने, संसार और समाधि मनुष्य के अंतरंग से मुलाकात करने, चेतना का ऊर्ध्वारोहण करने और इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने संसार के स्वरूप की विविध प्रकार से संसार-सागर से पार पहुँचने संबंधी विषयों पर बेहतरीन मार्ग प्रशस्त विवेचना की है। बाहर के संसार से भी ज्यादा मन के भीतर बसने वाले किया गया है। संसार से मुक्त होने के लिए उन्होंने क्रमशः मार्गदर्शन दिया है। इस प्रस्तुत पुस्तक में जो मनुष्य के भीतर छिपे अनेक तत्त्वों पर जो पस्तक में उन्होंने धर्म संन्यास. ध्यान साधना के नाम पर चलने वाली व्याख्याएं की गई है वह न केवल सरल व रोचक है वरन अनभव की 46 » संबोधि टाइम्स For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003893
Book TitleSambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantipriyasagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2013
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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