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माँ
अनुशंसा करते हुए लिखा है, "आशा और विश्वास से भरे श्री चन्द्रप्रभ उनकी व्याख्याओं में व्यंग्य के साथ अतीत की तुलना है। इतना ही के साहित्य में दर्शन और अध्यात्म के व्यावहारिक पक्ष का उदात्त नहीं, उन्होंने व्यक्ति को नए सिरे से धर्म को सीखने व समझने की विवेचन हुआ है। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम उनकी जीवन प्रेरणा दी है। दृष्टि का अपने व्यावहारिक जीवन में कितना सदुपयोग करते हैं।" श्री जीवन-शद्धिका विज्ञान चन्द्रप्रभ ने जीवन, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, परिवार, राष्ट्र एवं विश्व से संबंधित बिन्दुओं पर विपुल मात्रा में साहित्य लिखा है, जो कि अपने
इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने जीवन-शुद्धि के तीन चरण माने हैं -
1. शरीर-शुद्धि, 2. विचार-शुद्धि, 3.भाव-शुद्धि । इन तीनों की शुद्धि आप में अनुपम और बेजोड़ है। संक्षेप में श्री चन्द्रप्रभ का जीवनमूलक
व्यक्ति को किस तरह करनी चाहिए, इसका सुंदर विश्लेषण इस एवं व्यावहारिक साहित्य इस प्रकार है -
पुस्तक में किया गया है। पुस्तक में जीवन-शुद्धि से जुड़ी साधकों की जीवनमूलक साहित्य
अनेकानेक जिज्ञासाओं का भी श्री चन्द्रप्रभ ने सुंदर तरीके से समाधान (1) माँ (8) वाह! जिंदगी
दिया है। यह पुस्तक बाहर और भीतर के बीच सेतु का काम करती है
और स्वर्ग-नर्क, भोग, तप, ध्यान जैसे तत्त्वों की नई एवं सरल व्याख्या (2) जीवन यात्रा (9) कैसे जीएँ मधुर जीवन
प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में विज्ञान, मनोविज्ञान, धर्म और अध्यात्म (3) जीवन-शुद्धि का विज्ञान (10) घर को कैसे स्वर्ग बनाएँ का बेहतरीन तरीखे से समायोजन एवं समन्वय हुआ है। यह पुस्तक (4) जीएँ तो ऐसे जीएँ (11) शानदार जीवन के दमदार जीवन-शुद्धि का विज्ञान देने में खरी उतरती है। इसमें दिए गए सूत्रों को
नुस्खे
व्यक्ति सरलता से जीवन में आत्मसात कर सकता है। जो लोग अपने (5) जीने के उसूल (12) बातें जीवन की, जीने की जीवन को मंदिर की तरह पावन-पवित्र बनाना चाहते हैं उनके लिए यह (6) ऐसी हो जीने की शैली (13) बेहतर जीवन के
पुस्तक स्वर्णिम सौगात है। बेहतर समाधान
जीएँ तो ऐसे जीएँ (7) पल-पल लीजिए (14) चार्ज करें जिंदगी।
इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने व्यक्ति के मन में बार-बार आने वाले जीवन का आनंद
इस प्रश्न का समाधान दिया है कि कैसे जीएँ। क्या ऐसी कोई जीने की
शैली है जिसे जीकर व्यक्ति हर हाल में प्रसन्न और खुश रह सकता है उपर्युक्त साहित्य का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है -
और वह सफलता व मधुरता का रसास्वादन कर सकता है। यह पुस्तक
जीने की बेहतरीन शैली को प्रस्तुत करती है और दुःख, संताप, श्री चन्द्रप्रभ की कृति 'माँ' साहित्य का अनमोल सितारा है। जो विफलता में उलझे इंसान को बाहर निकालती है। यह पुस्तक जीवन प्रत्येक इंसान को माँ के चरणों में व माँ की सेवा में स्वर्ग-सुख की की व्याख्या करती है, जीवन को समझने व जीवन से सीखने की प्रेरणा अनुभूति होने का पाठ सिखाता है। छोटे-छोटे दृष्टान्त, रोचक प्रेरणा- देती है और जीवन को स्वर्ग बनाने की कला सिखाती है। इसमें उन प्रसंग, देश-विदेश के मूर्धन्य लेखकों-कवियों के काव्यांश व लेखनांश सभी विषयों पर अद्भुत चर्चा की गई है जो कि आम इंसान की जिंदगी प्रस्तुत कर लेखक ने गागर जैसे छोटे शब्द माँ को सागर की तरह के लिए आवश्यक हैं। इस पुस्तक में वे बेशकीमती मंत्र हैं जो हमारी विशाल बना दिया है और माँ के प्रेम, वात्सल्य, करुणा के आगे सबको जिंदगी को चमत्कृत कर सकते हैं। नतमस्तक होने के लिए मजबूर कर दिया है। वर्तमान हालातों को देखते प्रस्तुत पुस्तक में केवल उपदेश या सैद्धांतिक व्याख्या ही नहीं की हए परिवार व समाज-निर्माण में यह कृति मील के पत्थर की तरह गई है वरन् जीवन जीने के प्रायोगिक गुर भी थमाए गए हैं। पुस्तक के साबित हो रही है।
हर लेख में आनंद, उल्लास व आत्म-विश्वास जगाने के सूत्र छिपे हुए जीवन यात्रा
हैं। हमारे जीवन से नकारात्मक दृष्टिकोण हटे, सोच से लेकर जीवन इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने जीवन, व्यक्तित्व, धर्म, समाज,
के हर व्यवहार में समग्रता आए, सकारात्मकता आए - यही इस राजनीति, अध्यात्म से जुड़े विभिन्न विषयों पर लेखनी चलाई है। इसमें
पुस्तक का सार-संदेश है। आध्यात्मिक विकास के लिए भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित जीने के उसूल गुणस्थान क्रम की सुंदर विवेचना की गई है। धर्मलाभ, चमत्कार, हर शब्द का अपना अर्थ है और अपनी व्याख्या, पर चिंतक अपनी विनय, पदयात्रा, आशावाद, अनुशासन, तप, व्यक्तित्व-विकास, चिंतन शैली से हर शब्द में नई जान फूंक देता है जो न केवल अर्थ का जिनत्व, सेवा, निष्कांक्षा, ध्यान एवं योग साधना, आत्मवाद, मोक्ष, स्पष्टीकरण करती है वरन् जीवन जीने की नई प्रेरणाएँ भी देती है। यह सुमरण जैसे अलग-अलग बिन्दुओं की श्री चन्द्रप्रभ द्वारा की गई पुस्तक उन्हीं प्रेरक वचनों का संकलन है।असे लेकर ह तक लगभग 650 व्याख्या उनके ज्ञान-ध्यान की गहराई की परिचायक है। उनके द्वारा महत्त्वपूर्ण शब्दों की विशेष व्याख्या इस पुस्तक में की गई है। पुस्तक में विवेचित की गई जीवन-यात्रा उत्साह, रोमांच एवं आनंद से भरी हुई दिए गए वचनों में उनके सम्पूर्ण वक्तव्यों का सार भरा हुआ है जो उन्नत है। उनकी हर व्याख्या अन्तरंगीय साधना से भीगी हुई है। वे सुलझे एवं विचारों को बरगद का रूप देने वाले बीजों का काम करता है। सधे हुए चिंतक नज़र आते हैं। इन अध्यायों से हमें आत्म-बोध की
इस पुस्तक को पढ़ना अपनी अंगुली को किसी योग्य हाथों में बाँसुरी एवं सांस्कृतिक बोध की संस्कृति सुनाई पड़ती है। उनके पकडाना है जिसके बाद मार्ग की सभी समस्याएँ स्वत: विलीन हो प्रवचन केवल पांडित्य नहीं वरन् प्रज्ञा की प्रखरता से निखरे हुए हैं। जाती हैं। हम जब-जब भी इन स्वर्णिम वचनों का मनन करेंगे, हमें एक
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