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पूज्य श्री ललितप्रभ जी
की कलम से
श्री चन्द्रप्रभ : सरोवरसे बने
सागर
• संबोधि टाइम्स का यह विशेषांक महापुरुष के विचारों पर अपना प्रभावपूर्ण चिंतन .श्री चन्द्रप्रभ के 33 साल के संत-जीवन जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय द्वारा पीएच. दिया है और अनगिनत शास्त्रों पर अपने में हज़ारों सत्संग हुए। हर साल लाखों लोगों डी. के लिए मान्य शोध-प्रबंध'श्री चन्द्रप्रभ का उद्बोधन देकर उन्हें और अधिक सरस, सुगम ने सुना । देशभर में हुई विराट प्रवचनमालाओं दर्शन : साहित्य, सिद्धांत एवं व्यवहार' का और सरल बना दिया है।
ने संपूर्ण देश की आबोहवा को बदल दिया। सार-संक्षिप्त रूप है। युवा-मनीषी मुनिवर श्री .धर्म, अध्यात्म. काव्य, कविता, गीत, भजन 36 कौम के लोग सत्संगों में उमड़ते हैं। जब शांतिप्रिय सागर जी द्वारा लिखे गए इस शोध- के साथ जीवन-निर्माण, व्यक्तित्व-विकास, वे माँ पर बोलते हैं तो बड़े से बड़ा पांडाल प्रबंध का निर्देशन ज्ञान-मनस्विनी डॉ. विमला पारिवारिक प्रेम समाज-निर्माण एवं राष्ट चेतना छोटा पड़ जाता है। हजारों लोग धूप में खड़े जी भंडारी ने किया है। दोनों महानुभावों के को जाग्रत करने वाला श्री चन्द्रप्रभ का विराट होकर भी इस प्रवचन का डूब-डूबकर शोध-परक परिश्रम के लिए हार्दिक अभिनंदन। साहित्य देश के लाखों-करोडों घरों में ज्ञान के आनंद लेते हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, • श्री चन्द्रप्रभ एक ऐसे प्यारे संत का नाम है दीप जला रहा है। विविध आयामी इतना प्रचर ईसाई हर धर्म-कौम के घरों में उनके जो संत होने के साथ हर इंसान के कल्याण-मित्र लेखन हुआ है कि दस लोग एक साथ उनके प्रवचनों की वीसीडिया चलती हैं। लोग हैं। श्री कृष्ण की तरह जीवन के सारथी बनकर साहित्य पर पीएच.डी कर सकते हैं। उनकी कॉपियाँ कराकर हज़ारों की तादाद में उन्होंने व्यक्तिगत व पारिवारिक जिंदगी में प्रेम . श्री चन्द्रप्रभ के सैकड़ों प्रवचन य ट्यब एवं बाटतहा। का ऐसा रस घोला है कि लाखों जिंदगियों और इंटरनेट पर परे विश्वभर में बचाव से देखे- .श्री चन्द्रप्रभ के साहित्य की यह परिवारों में माधुर्य और सरसता उमड़ आई है। सने जाते हैं। संस्कार चैनल पर हर रोज रिलीज खासियत है कि पाठक की दृष्टि ही नहीं • श्री चन्द्रप्रभ एक ऐसे दमदार संत हैं जो हो रहे उनके दिव्य प्रवचनों ने घर-घर के दख- बदलती, अपितु दृष्टिकोण भी बदल जाता अपनी बात बिना किसी लाग-लपेट के कहते दर्द कम किये हैं।
है। उनकी किताबों को पढ़ने के क्रम में हैं। वह जो महसूस करते हैं सटीक कहते हैं, . श्री चन्द्रप्रभ ध्यान साधना को गहराई से जीते
किश्त-दर-किश्त यह अनुभूति होती है जैसे आनंदमय जीते हैं और सबको जीवन की सुवास हैं और उस पर परे डब कर बोलते हैं। साधना- हम और मिठास प्रदान करते हैं।
शिविर में साधकों को ऐसी अलौकिकता का रोशनी ओढ़कर बाहर निकलते जा रहे हैं। • श्री चन्द्रप्रभ गहरे से गहरे विषय पर ऐसे दर्शन होता है जिससे एक साधारण आदमी को •सरोवर से सागर और तलहटी से शिखर सहज भाव से कहते चले जाते हैं जैसे कोई बड़ा भी दिव्य पुरुष के दर्शन का सौभाग्य मिलता है। तक बढ़ी श्री चन्द्रप्रभ का जीवन-यात्रा ने आदमी छोटे बच्चे को राह चलते समझाता . श्री चन्द्रप्रभ ने जब सकारात्मक सोच का अ
झाता श्री जोन का अनगिनत चेतनाओं में ऊर्जा, उत्साह और चलता है। हर मोड़ के बारे में, हर दृश्य के बारे चिंतन दिया तो पूरे देश में इसकी लहर चल ।
- आत्म-विश्वास का संचार किया है। जीवन
में पल-पल प्रेम, शांति और ज्ञान की अमृत • श्री चन्द्रप्रभ द्वारा प्ररूपित संबोधि-साधना- के चिंतन को सचिवालय से लेकर कलेक्टेट के वषा करते हुए पांच दशक की उनकी मार्ग ने इंसान को नई जीवन शैली दी और ऑफिस तक में जगह दे दी।
यशस्वी साधनामय जीवन-यात्रा का हम सब अधिक होश और आनंदपूर्वक जीवन जीने का . श्री चन्द्रप्रभ ने जब पारिवारिक मूल्यों पर
अभिनंदन करते हैं। मार्ग दिया। वे ध्यान की ऐसी विधियों के बोला तो उससे लाखों टूटे परिवार एक हुए,
• मेरे लिए यह गौरव की बात है कि मैं श्री प्रस्तोता हैं जो आज के गतिशील जीवन को केरियर पर बोले तो करोड़ों युवाओं की भटकती
चन्द्रप्रभ का भाई हूँ। मुझे उन पर गौरव है, ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। जिंदगी को नई दिशा मिली और ध्यान-साधना
उनसे प्रेम है, मैं उनके प्रति विनम्र हूँ। कहने • श्री चन्द्रप्रभ ने दुनिया के हर धर्म पर पर बोले तो अध्यात्म के दिव्य मार्ग पर अनगिनत का ह
को हम दो हैं पर सच्चाई यह है कि हमारे ससम्मान और सरसता के साथ बोला है। हर आत्माएँ मुक्ति की राह पर चल पड़ी।
प्राण और हमारी आत्मा एक है। 2> संबोधि टाइम्स air Education Interational
में।
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