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________________ * है।"वे धर्मांतरण के साथ संकीर्णता को भी गलत मानते हैं । वे धर्म को सुबह उठकर प्रार्थना और मंत्र-पाठ किया करते थे, अब लोग सुबह मानने की बजाय जीने की प्रेरणा देते हैं। उनकी दृष्टि में, "व्यक्ति हिन्दू उठते ही सिगरेट का कश लेते हैं। अब लोग राम की बजाय रम्मी, व से हो, बौद्ध हो, ईसाई हो, इस्लाम हो या जैन, ऐसा होने में कोई खतरा नहीं विष्णु की बजाय व्हिस्की और श से शंकर की बजाय शैम्पियन कहने है, पर वह साम्प्रदायिक न हो। सम्प्रदाय रहे, पर साम्प्रदायिकता की लग गए हैं।" श्री चन्द्रप्रभ ने दुर्व्यसनों से छुटकारा पाने के लिए कुछ संकीर्णता मानव मन को संकीर्ण न बनाए। महत्व इस बात का नहीं है महत्त्वपूर्ण सूत्र दिए हैं - कौन व्यक्ति किस धर्म का अनुयायी है, वरन् अर्थवत्ता इस बात की है 1. अच्छी आदत के लिए आप अपने बच्चों को अच्छे मित्र कि धर्म के कितने अंशों का मनन और आचरण कर रहा है।" इस तरह दीजिए। श्री चन्द्रप्रभ ने धर्म की नई दृष्टि उजागर की है। 2. घर-परिवार का वातावरण अच्छा रखिए। गंदगी व दुर्व्यसन - भारत में गंदगी भी एक आम समस्या है। 3. बच्चों को अच्छी कहानियाँ सुनाइए। गली-गली में बिखरी गंदगियाँ बीमारियाँ को जन्म देती हैं। श्री चन्द्रप्रभ 4. टी.वी. पर वही फिल्में और धारावाहिक चलाइए जो ने इस समस्या से निजात पाने के लिए सरकार, प्रशासन, नगरपालिका पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों से जुड़े हों, जिनमें व्यक्तित्व विकास के साथ आम नागरिकों को जागरूक किया है। उन्होंने सभी से भारत की बातें हों। को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने की अपील की है। उनका कहना है, 5. घर में अच्छी किताबों की लाइब्रेरी बनाइए। "व्यक्ति घर के साथ मोहल्लों को भी स्वच्छ रखे। पूरे देश में युवाओं 6. संकल्प-शक्ति को मजबूत बनाइए। को सफाई अभियान चलाना चाहिए। हर मोहल्ले में विकास समिति 7. नशा-मुक्ति का संदेश देने वाले विज्ञापनों का प्रसार होना गठित करके आपसी सहयोग द्वारा सफाई की पहल की जानी चाहिए। चाहिए।" 8. गुटखा खाने वाले गुटखे के शब्द से टी को साइलेंट करके श्री चन्द्रप्रभ ने सरकारों से शराब, सिगरेट, गुटखा जैसे मादक। बोलें, फिर भी जी करे तो खाएँ। पदार्थों, थैलियों पर भी पूर्णरूपेण प्रतिबंध लगाने की प्रेरणा दी है। वे 9. आदतों को बदलने के लिए योग और ध्यान कीजिए। कहते हैं, "जिस तरह से प्लास्टिक की थैलियों का चलन बढ़ा है, आने श्री चन्द्रप्रभ ने इस तरह भारत को गंदगी एवं दुव्यर्सनों से मुक्त वाले कल के लिए खतरा बढ़ा है। अतीत में कभी सिंध घाटी की करने पर पूर्ण बल दिया है। सभ्यता की खुदाई में 3000 वर्ष पुराने मिट्टी के कलात्मक बर्तन मिले गौरक्षा - श्री चन्द्रप्रभ गायों की रक्षा के समर्थक हैं। गायों को हैं, पर अगर 3000 वर्ष के बाद खुदाई हुई तो प्लास्टिक की थैलियों के भारतीय संस्कृति में विशेष महत्त्व दिया गया है, पर आधुनिकता के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।" उन्होंने पशुओं की मौत का मुख्य कारण चलते लोग गौरक्षा के प्रति उदासीन हुए हैं। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति के भी प्लास्टिक की थैलियों को बताया है। भीतर गौरक्षा का जोश जगाया है। गौ-हत्या के खिलाफ नारेबाजी करने विश्व में मादक पदार्थों के सेवन का प्रचलन भी बहत बढा है। वालों को आईना दिखाते हुए उन्होंने कहा है, "गौ-हत्या के खिलाफ मादक पदार्थों के चलते अपराध बढ़े हैं, आर्थिक विपन्नता की स्थिति नारेबाजी करने वालों में कितने लोग ऐसे हैं, जिन्होंने घर में एक भी बनी है, दुर्घटनाओं में अभिवृद्धि हुई है,सरकारें चेतावनियाँ तो लिखाती गाय पाल रखी है। हमारे पास कार रखने की जगह है, गाय रखने की हैं, पर राजस्व के चक्कर में इन पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगातीं। नहीं। गाय से ज्यादा कार मूल्यवान हो गई है, पर सारे विश्व के कल्याण परिणामस्वरूप मादक पदार्थों के सेवन में अभिवृद्धि हुई है। इस संदर्भ की कामना और प्राणिमात्र के अभ्युदय से ही हिंदुत्व पुनर्जीवित होता में महोपाध्याय ललितप्रभसागर ने लिखा है, "हमारे देश का यह है।" श्री चन्द्रप्रभ प्रतिवर्ष गौशालाओं में सहयोग भिजवाते हैं। उनके दुर्भाग्य है कि सरकारें नशे की वस्तुओं का निर्माण करने व बेचने का गौशालाओं में कार्यक्रम भी आयोजित होते रहते हैं। इस तरह वे गौसेवा लाइसेंस भी देती हैं और 'नशा करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है' के लिए जनमानस को जागृत करते रहते हैं। यह वैधानिक चेतावनी लिखने के लिए कम्पनियों को बाध्य भी करती निष्कर्ष हैं। इतना ही नहीं, उन्हीं के द्वारा दिए गए टेक्स से नशे से होने वाली उक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि श्री चन्द्रप्रभ राष्ट्र के प्रति दुर्घटनाओं और बीमारियों की रोकथाम करती हैं। ऐसा करना स्वास्थ्य सकारात्मक एवं क्रांतिकारी सोच रखते हैं। उन्होंने राष्ट्र के अच्छे-बुरे के साथ खिलवाड़ है। केवल चेतावनियाँ लिखने से समस्या का दोनों पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला है। विभिन्न समस्याओं से समाधान नहीं हो सकता। सरकार जन व संत सहयोग से इन पर पूर्ण जूझ रहे भारत को उन्होंने समस्याओं से ऊपर उठने के सहज, सरल एवं प्रतिबंध लगाए। अगर सरकारों को आर्थिक तंगी का सामना करना व्यावहारिक समाधान दिए हैं। राष्ट्रहित को सर्वोच्चता देना उनकी राष्ट्रपड़ेगा तो हम जैसे संत भक्तों के माध्यम से इस क्षतिपूर्ति को पूरा करने भावना को व्यक्त करती है। राष्ट-प्रेम, विश्व-शांति और नैतिक विकास के लिए सदा तैयार रहेंगे। से जुड़ा उनका मार्गदर्शन राष्ट्र और विश्व के लिए एक अनमोल निधि श्री चन्द्रप्रभ ने जनमानस को दुर्व्यसनों के दुष्चक्र से बाहर निकलने की प्रेरणा दी है। वे कहते हैं, "जो पढ़े-लिखे होकर भी वैधानिक चेतावनियों को दरकिनार करते हैं, वे बुद्धि की दृष्टि से कोमा में हैं।" वर्तमान परिवेश पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा है, "पहले लोग रात को दूध पीकर सोते थे, अब शराब पीकर सोते हैं। पहले लोग संबोधि टाइम्स > 137 Jain Education International है। For Personal & Private Use Only
SR No.003893
Book TitleSambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantipriyasagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2013
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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