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________________ अस्तित्व की जड़ों में नीत्से का वचन है : आदमी झूठ के बिना जी नहीं सकता । इस वचन का आधार मनोविज्ञान है । पता है वह झूठ क्या है ? वह झूठ मनुष्य नहीं है । मनुष्य सत्य है । वह अस्तित्व का परम सत्य है । ___अस्तित्व जैसा है अपने आप में पूर्ण है । असंख्य हिमधाराएँ, नक्षत्र, तारा-मंडल और आकाश जैसे तत्त्व अस्तित्व की ही मुखाकृतियाँ हैं । अस्तित्व की पूर्णता तो देखो, बच्चा माँ से जन्म लेता है तो दूध की व्यवस्था भी साथ लेकर आता है । गमले में फूल खिलने से पहले ही अंगरक्षा के लिए कांटे तैनात हैं । शीतलता और ऊष्णता का संतुलन बनाये रखने के लिए सूर्य और चन्द्र निरन्तर गतिशील हैं । जन्म-मरण का समय-चक्र चालू रहते हुए भी एक भी व्यक्ति न कम होता है न अधिक । जितने लोग जनमते हैं उतने ही मरते भी हैं । ब्रह्माण्ड की परिपूर्णता को चुनौती नहीं दी जा सकती । अस्तित्व पूर्ण है। सच तो यह है कि हर व्यक्ति अपने आप में सम्पूर्ण अस्तित्व है । वह अत्यन्त ऊर्जा का स्वामी है । उसकी विराटता तब अपना मौलिक रूप पा लेती है, जब वह अपने जीवन की अनवरत यात्रा के दौरान समस्त भौतिक अंशों एवं उनके प्रति स्वयं का सम्मोहन क्षय कर देता है । ध्यान इसमें मदद करता है । इसलिये नवजीवन में प्रवेश करने के लिए जीवन में छाई विसंगतियों को मृत्यु के द्वार तक लाना होगा । यह चैतन्य-ऊर्जा की दृष्टि ही मर्त्य-के-पार विहार करने की पहल है । हमें चलना है अस्तित्व की ठेठ जड़ों में, उसकी आत्यन्तिक गहराइयों में । अस्तित्व ही हमारी समग्रता है । अस्तित्व जैसा है, वास्तविक है । हम में से प्रत्येक एक स्वतन्त्र अस्तित्व है । हर अस्तित्व की अपनी मौलिकता होती है । प्रत्येक अस्तित्व इतना व्यक्तिगत है कि उससे उसके निकटतम सगे-सम्बन्धी भी जुड़े हैं । इसीलिए तो कोई किसी का अनुकरण नहीं करता । एक विशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003892
Book TitleChale Man ke Par
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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