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________________ गप्पें हांकने की प्रतियोगिता में ही हासिल कर सकते हैं, पर वार्सीलोना जाकर मिट्टी का पदक भी नहीं ला पायेंगे । ये केवल ज्ञानवादी हैं, कहेंगे, हमने सब कुछ जाना है, हम सर्वज्ञ हैं, लेकिन हकीकत में ये अपने आपकी की भी पहचान नहीं कर पाये हैं । मैंने सुना है, जर्मन में एक प्रतियोगिता आयोजित की गई, गप्पें हांकने की । तीन देशों के प्रतियोगियों ने भाग लिया चीन, पाकिस्तान और भारत । प्रतियोगिता शुरू हुई | पाकिस्तानी ने कहा, 'मेरे देश में एक आदमी सात मंजिल से नीचे गिरा । सोमवार को लुढ़का और मंगलवार को नीचे पहुँचा ।' चीन का प्रतियोगी खड़ा हुआ । उसने कहा, 'इसका गप्पा कोई खास नहीं है, मेरा गप्प सुनें, मेरे देश में एक व्यक्ति आठ मंजिल से नीचे गिरा, सोमवार को ऊपर से गिरा और शनिवार को नीचे पहुँचा । • लोगों ने तालियाँ बजायीं । गप्प में कुछ दम था । भारतीय खड़ा हुआ, स्वर्ण पदक लाने का, देश को वचन देकर आया था, कहने लगा, 'मेरे देश में एक व्यक्ति नौ मंजिल से नीचे गिरा । वह होली को ऊपर से लुढ़का और दीपावली को धरती पर पहुँचा ।' भारतीय का, लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया । वह स्वर्ण पदक लेकर भारत पहुँचा कहा, 'मेरा देश सब में हार सकता है पर गप्पें हांकने में यहाँ का बच्चा भी जीत जायेगा ।' यह गप्पबाजों का देश है । जैसे हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के कुछ और होते हैं, वैसे ही ये वचनवीर कहेंगे कुछ, करेंगे कुछ, बाहर कुछ, भीतर कुछ | ये केवल वाणी के वीर हैं । इसलिए महावीर कहते हैं कि ऐसे लोग केवल अपने आपको आश्वासन देते हैं । ये बातों के बादशाह हैं और जीवन के भिखारी । महावीर कहते हैं, 'जीवन में संगम हो ज्ञान और चरित्र का ।' कोरे भाषण और आश्वासन देने से जीवन-निर्माण नहीं हुआ करता । हिमालय की यात्रा का आनंद, नक्शे और किताबों से नहीं, वहाँ जाने से मिलेगा । नक्शे और किताबें सूचनाएं दे सकती हैं, सारी जानकारियां दे सकती हैं, लेकिन आनंद नहीं दे सकतीं । इसलिए भगवान कहते हैं, 'जो कहते तो बहुत कुछ हैं, लेकिन Jain Education International दीप बनें देहरी के / १५१ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003891
Book TitleJyoti Kalash Chalke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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