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ठोकर खाने के बाद फिर ठोकर खाना अज्ञानता की निशानी है । किताबें न पाएं, कोई बात नहीं, ज्ञान किताबों में नहीं है । वह तो हमें अनुभव से मिलता है । अगर आज हमें लगा कि मैंने जो क्रोध किया था, उसके दुष्परिणाम सामने आए हैं तो यह ज्ञान प्राप्ति की शुरुआत हो गई । हम जागरूक होने लगे तो यह तय है कि आने वाले कल को हम क्रोध नहीं कर पाएंगे ।
एक व्यक्ति साठ वर्ष की उम्र में तीसरा विवाह करने जा रहा था । उसने दो विवाह से भी कुछ नहीं सीखा, उसे तो भोग से तृप्ति हुई ही नहीं । हम क्रोध, अहंकार और सेक्स का जितना उपयोग करेंगे, हमारी ऊर्जा उतनी ही समाप्त होती चली जाएगी । जरा विचार करो, चौबीस घंटों में जो ऊर्जा प्राप प्राप्त करते हैं, उसे क्षण भर के क्रोध, अहंकार और सेक्स वृत्ति से गंवा देते हैं । इस तरह तो बनने वाली और घटने वाली ऊर्जा का अनुपात बहुत बढ़ जाएगा और एक दिन ऐसा आएगा जब तुम्हारे पास कुछ न रहेगा । तब पछताने की सिवा क्या करोगे ।
जीवन का मार्ग सबका एक है । जिस मार्ग से आज आप गुजर रहे हैं, उसी मार्ग से एक दिन राम गुजरे, उसी मार्ग से कृष्ण और महावीर गुजरे । जीवन के ताने बाने में कोई फर्क नहीं है । जन्म और मृत्यु • सबके जीवन में प्राती है । ऐसा नहीं है कि महावीर आकाश से उतरे थे और हम पाताल से आए हैं। सभी ने मां की कोख में ही पांव पसारे हैं ।
महावीर भी हमारे जैसे ही हैं- जब तक हम यह बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा सकेंगे, तब तक हमारे जीवन में परिवर्तन नहीं आ सकता । तब तक कहीं किसी उत्सव की संभावना नहीं होगी,
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