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________________ समय है। काम का काम करने को समय नहीं है, व्यर्थ का काम करने के लिए दिन भर खाली पड़े हैं । - आदमी के पास रोजी-रोटी की कमी है तो इसका एक कारण यह भी है कि काम करने की वास्तव में इच्छा नहीं है । आदमी कामचोर है। दुनिया में तीन तरह के चोर मिलेंगे - एक दौलत चोर, दूसरा चित्तचोर और तीसरा कामचोर । एक निकम्मा आदमी काम का आदमी हो सकता है, लेकिन एक कामचोर किसी काम का नहीं। जीवन की दुर्दशा का एक बड़ा कारण कामचोरी ही है । ऐसा आदमी समय की भी तो चोरी कर रहा है। समय बेकार जा रहा है। आदमी ताश खेलकर अपना समय काट रहा है। वह नहीं समझ रहा कि असल में समय उस आदमी का जीवन काट रहा है, जिसे वो चाहे तो बचा सकता है। सार्थक मूल्यों के लिए समय का उपयोग कर सकता है । मगर यहां इतना ध्यान कोई नहीं दे रहा । बेकार, बिना काम लोग किसी के यहां मेहमान बनकर चले जाते हैं, भले इससे सामने वाले को परेशानी का सामना ही करना पड़े। ऊपर से 'अतिथि' का पुछल्ला और । यू भी हिन्दुस्तान में 'अतिथि देवो भव' की परम्परा है। हमारे समय को नष्ट किया जाता है लेकिन हमें परम्परा के मारे उनका सम्मान करना पड़ता है । मैं यहां वास्तविक अतिथि की बात नहीं कर रहा । हमारी विडम्बना है कि सार्थक कामों में हमारा समय नहीं जाता, बेकार की बातों में ही हम समय गवां देते हैं। ऐसे लोग समय का अपमान कर रहे हैं। समय का अवमूल्यन करते हैं । अपना और हमारा, दोनों का समय नष्ट कर रहे हैं। इसलिए मैं यह सूत्र देना चाहता हूं कि 'समय को साधो, समय से लड़ो मत ।' साधो ( १४३ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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