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________________ - जब वह फिर अपने सिंहासन पर बैठा और उसे राजमुकुट - पहनाया जाने लगा तो उसे फिर वो ताबीज याद आ गया। उसने पर्चा निकाल कर पढ़ा-लिखा था, 'यह समय भी बीत जाएगा।' इसके साथ ही सम्राट उदास हो गया । सभासदों ने पूछा-सम्राट ! क्या बात है ? सम्राट ने कहा कि 'एक समय मैं सम्राट था। फिर ऐसा समय भी पाया कि मैं घने जंगल में अपने प्राणों को बचाने के लिए दौड़ रहा था और आज फिर ऐसा समय है कि राजमुकुट मेरे सिर पर है। लेकिन यह समय भी तो बीत जाने वाला है, फिर मैं क्यों इतनी चिंता करू। सारे धर्मों का सार मुझे तो यही लगता है कि कोई भी समय एक जैसा नहीं रहता। यह भी बीत जाता है।' सम्राट के पांव जंगल की ओर बढ़ गये। राजमुकुट उस सिंहासन पर ही पड़ा रह गया। अगर मनुष्य इस सार सूत्र को जीवन में याद रखे तो उसकी तमाम परेशानियां दूर हो जाएंगी। गरीबी हो या अमीरी, समान भाव रखो। न तो दुःख में दुःखी रहो और न सुख में उछलते फिरो । दुख है तो यह समय भी गुजर जाएगा और सुख है, तो यह भी सदा नहीं रहेगा। दुःख में उदासी नहीं और सुख में अभिमान नहीं। समय की धारा शाश्वत है। यह तो चलती जाएगी। हर चीज क्षण-भंगुर है । परिवर्तनशील है। इतना काम है दुनिया में करने को कि दस-दस जनम भी कम पड़ते हैं लेकिन आज आप किसी से पूछो कि भाई फलां काम कर दो, तो उसका जवाब होगा'समय नहीं है।' रोजगार की तलाश है, काम चाहिए लेकिन काम करना अच्छा नहीं लगता। फुरसत में बैठे हैं, मक्खियां मार रहे हैं लेकिन काम करने को कहो तो 'समय नहीं है ।' गप्पे हांकने को ( १४२ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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