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________________ रहता है और न सुख । कभी सुख तो कभी दुख । पहिये की तूलि की तरह । कभी नीचे का पहिया ऊपर, तो कभी ऊपर का पहिया नीचे । समय बदलता है, सबके भाग्य को ऊपर-नीचे करता फिरता है। समय के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। समय का पहला लक्षण ही यह है कि जो परिवर्तनशील हो । समय सबको बदल देता है, मगर स्वयं नहीं बदलता। सबकी मृत्यु घटित करेगा, लेकिन उसकी मृत्यु नहीं होगी। उसका न तो जन्म है और न ही मृत्यु । वह चिरंतन काल से है और चिरंतन काल तक रहेगा। समय का स्वभाव है परिवर्तन । औरों में परिवर्तन । कहींका वह दीप बुझाता है तो कहीं का दीप जलाता है। जलता दीप कब बुझ जाए, यह समय ही बता सकता है । भगवान बुद्ध ने एक सिद्धांत दिया-'क्षणभंगुरवाद' । हर चीज क्षणिक है । क्षण के साथ ही हर चीज क्षीण होती चली जाएगी। बुद्ध का 'क्षणभंगुरवाद' समय पर ही आधारित है। कोई चीच स्थायी नहीं है । सब चीजें खत्म हो रही हैं, बह रही हैं, निकल रही हैं, चल रही हैं । नदी बहती रहती है । दीपक की लौ जल रही है, वो हमें अखण्ड दिखाई देती है, लेकिन वास्तव में लौ हर क्षण पैदा हो रही है और मिट रही है । जन्म हो रहा है, मृत्यु हो रही है । सातत्य के कारण हमें इसका अहसास नहीं होता। दिये की तरह ही हमारी लौ भी खत्म होती जा रही है । जीवन ऐसे ही खत्म हो जाता है । समय खण्ड-खण्ड हो तो हमें दिखाई भी दे, लेकिन ऐसा नहीं है। उसमें जो सातत्य है, उसके कारण 'गैप' दिखाई नहीं देता। पंखा चल रहा हो तो क्या आप उसकी पंखुड़िया गिन कर बता सकते हैं, जब तक कि आपको पहले से मालूम न हो। इसी तरह समय है। खण्ड-खण्ड का इस में पता नहीं चलता । ( १३६ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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