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________________ सूचना किसी के यहां चला जाएगा और तीन-चार घंटे गप्पों में बिता देगा। आपने ऐसा किया है तो वह उसके तीन-चार घंटों की हत्या है । वो आदमी अपना यह समय किसी काम में लगाता, लेकिन आपने उससे वे घंटे छीन लिये। समय व्यतीत हो रहा है । जीने को जी रहे हैं। शराब पी रहे हैं । सिगरेट पी रहे हैं । ताश खेल रहे हैं। समय काट रहे हैं। हमारा कितना ही समय व्यर्थ चला जाता है। बेहतर होगा व्यर्थ के कामों की बजाय कोई सार्थक काम करो। सार्थक काम न भी करो तो कम-से-कम अपने को व्यर्थ कामों में तो मत उलझायो । हम किसी को समय देंगे तीन बजे का, लेकिन पहुंचेंगे पांच बजे। जैसे दो घंटे का कोई मूल्य ही नहीं है। इन्तजार करने वाले को तो इस समय का नुकसान ही हुआ। गनीमत है कि दो ही घंटे का नुकसान किया। लोग तो कहते हैं 'कल आता हूं।' और तीन दिन बाद आते हैं। उनके लिए एक दिन और पांच दिन में कोई फर्क ही नहीं। किसी साहूकार से पूछिये एक दिन का कितना महत्व है । ब्याज बट्टे वाले से । ऐसे ही जीवन बीत रहा है। पौने नौ बजे प्रवचन का समय रखा। लोग नौ-सवा नौ बजे तक आते हैं। देर से पाकर आपने अपना ही नुकसान किया। कोई 45 मिनट तक अमृत बरसा रहा है और आप देर से पहुंचे तो उसका खामियाजा आपको ही उठाना पड़ेगा। आपको कम अमृत मिलेगा। गंगा तो बह रही है। अब यह आदमी पर है कि वो दो चुल्लू पानी लेता है या उसमें स्नान करता है। गंगा में से पानी निकालो या न निकालो, वह तो अबाध गति से बहती रहेगी। नुकसान तो आपका होगा। इसलिए समय का मूल्य हमें समझना चाहिए। आदमी को समय का बोध नहीं है, ( १३१ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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