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ने समय को समझ लिया, उसने अपने जीवन की नब्बे प्रतिशत समस्याएं हल कर लीं। कोई आदमी मेरी तारीफ करे या बदनामी करे, मुझे कोई खुशी या दुःख न होगा । मैं तो समय का साक्षी हूं । दोंनों में मस्ती का आलम रहेगा । ये तो समय का खेल है । सारा जीवन, जगत, समाज, जीवन के अनन्त जन्मों की यात्रा, सब समय का खेल है ।
समय से उबरने के लिए आदमी दो मार्ग चुनता है । या तो आदमी समय को भूल जाए या फिर समय से ऊपर उठ जाए । जो आदमी समय को भूलना चाहता है वह शराब पीकर अपना गम गलत करेगा । क्योंकि वह आदमी समय का मारा है । आदमी हमेशा पीड़ा में ही शराब पिएगा । ऐसा नहीं है कि गरीब आदमी ही शराब पीता है, अमीर आदमी भी शराब पीता है । वह मानसिक परेशानी के कारण शराब पीता है ताकि तनाव को भुला सके । शराब पीने से कभी तनाव नहीं भुलाया जा सकता । तनाव दब जाएगा, लेकिन मिटेगा नहीं । आदमी जब शराब पी लेगा तो नशे में लगेगा, दुनिया नहीं, मगर जब नशा उतरेगा तो वही घोड़े और वही मैदान |
ऐसा नहीं है कि शराब पीने के बाद जब नशा उतर जाएगा तो दुःख कम हो जाएगा । होश में आने के बाद दुःख और ज्यादा हो जाएगा, सघन । यही घटना क्रम नित्य प्रति चलेगा | शराब की मात्रा बढ़ती जाएगी। आदमी अपने आप को मार डालना चाहेगा । उसे पता है कि यह समय की मार है । आदमी भीतर-ही भीतर टूट रहा है । इसे भुलाने को उसे आसान उपाय शराब ही लगती है । जो आदमी समय को भुलाना चाह रहा है, वह व्यक्ति वास्तव में जीवन को भुला रहा है । जीवन की आत्महत्या कर रहा
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