________________
गया, तो उसके साथ उसकी रोशनी भी गई। हम तो पहले भी अंधकार में थे और उसके चले जाने पर पुनः अंधकार में आ गये । औरों की रोशनी तो मात्र आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिए है। ज्योति हो अपनी !
अपना अांचल तो हमें विराट करना ही होगा तभी आकाश से बरसने वाली सौगात हमारे दामन में आ सकेगी। हमारा आंचल जितना बढ़ता जाएगा, परमात्मा का अमृत उतना ही अधिक मिलता जाएगा । अांचल को बड़ा बनाओ, जितना बड़ा आंचल होगा, सौगात उतनी ही बड़ी होगी।
( ११७ )
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org